पीएम-जनमन से आदिवासियों के जीवन में नई सुबह
संजीव कुमार
विदिशा, 7 जुलाई (हि.स.)। मध्य प्रदेश के विदिशा जिले से करीब 80 किमी दूर गंज बसोदा के आखिरी टपरा गांव के लोग बहुत खुश हैं। क्योंकि बेहद लंबे इंतजार के बाद उनकी झोपड़ी (टपरा) की जगह अब नये पक्के मकान बन गए हैं। इतना ही नहीं, बल्कि उन्हें पक्के मकान के साथ स्वच्छ पेयजल, बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण के साथ-साथ टिकाऊ आजीविका, बेहतर सड़क और दूरसंचार संपर्क जैसी आवश्यक और बुनियादी सुविधाएं भी मिल रही हैं। यह सब पीएम-जनमन (प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान) योजना के कार्यान्वयन से संभव हुआ है। इस योजना का उद्देश्य विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (पीवीटीजी) को मुख्य धारा में लाना है।
आखिरी टपरा गांव आदिवासियों की सहरिया जनजाति का है। आदिवासियों की यह जनजाति मध्य प्रदेश में विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) में शामिल है। अकेले मध्य प्रदेश में विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (पीवीटीजी) की कुल जनसंख्या 12,09,630 है। पीएम-जनमन का कुल बजटीय परिव्यय 24,104 करोड़ रुपये है। इसमें केंद्रीय हिस्सा 15,336 करोड़ रुपये और राज्य का हिस्सा 8,768 करोड़ रुपये है।
पीएम-जनमन योजना का शुभारंभ 15 नवंबर, 2023 को किया गया था और अगले तीन वर्षों में सुरक्षित आवास, स्वच्छ पेय जल और शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण, सड़क और दूरसंचार संपर्क, गैर विद्युतीकृत घरों में विद्युतीकरण और टिकाऊ आजीविका की बुनियादी सुविधा सुनिश्चित करना था। गंज बसोदा के आखिरी टपरा गांव में सहरिया जनजाति के लोगों को टपरा की जगह पक्का मकान और जाति प्रमाण पत्र व आधार कार्ड के जरिये नई पहचान मिली है। अब तक केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से सहरिया जनजाति के 38 आवास पीएम-जनमन योजना के अंतर्गत बने हैं।
आखिरी टपरा गांव में पक्का मकान बनने के बाद उसका नाम भी नया गांव टपरा हो गया है। इस गांव की निवासी नेहा सहरिया का कहना है कि मैं जब विवाह के बाद यहां आई थी तो टपरा में रहने में बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। इसकी वजह से मुझे अधिकतर अपने मैके में ही रहना पड़ता था। अब पीएम-जनमन योजना के अंतर्गत हमारा नया पक्का मकान और शौचालय बन गया है। पक्का मकान और शौचालय बनने के बाद हमारी जिंदगी बेहतर हुई है। सिलाई मशीन के जरिये मैं सिलाई का काम भी करती हूं। नेहा की सास 50 वर्षीय फूलबाई लगभग अपना पूरा जीवन टपरा में ही बिताया है। फूलबाई के लिए पक्का मकान एक सपना था लेकिन पीएम-जनमन योजना के अंतर्गत सरकार ने उम्र के आखिरी पड़ाव पर फूलबाई को उसके नाम से पक्का मकान और शौचालय देकर उसके सपने को साकार कर दिया है। फूलबाई की खुशी का कोई ठिकाना नहीं है।
गंज बसोदा के एसडीएम विजय राय का कहना है कि पीएम-जनमन योजना के अंतर्गत विशेष रूप से कमजोर जनजाति समूह के लिए काम किया जा रहा है। इसमें लोगों को घर बनाने के लिए 2 लाख रुपये, मजदूरी के लिए 23 हजार रुपये और 13 हजार रुपये टॉयलेट के लिए दिए जा रहे हैं। इसके साथ और भी बहुत-सी योजनाओं से आदिवासी समुदाय को आगे बढ़ाया जा रहा है। पूरे विदिशा में 16 हजार से अधिक को पक्के मकान दिए गए हैं।
विदिशा जिले के डिप्टी कलेक्टर और ट्राइबल अधिकारी संतोष ने बताया कि जनजातीय समुदायों को मुख्यधारा में लाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार मिलकर काम कर रही हैं। अकेले गंज बासौदा में पीएम-जनमन के अंतर्गत 1562 आवास बने हैं जिनमें सिर्फ पिपरिया दौलत पंचायत में 48 आदिवासी परिवारों के लिए नया पक्का मकान बना है।
पिपरिया दौलत पंचायत के पंचायत सचिव लक्ष्मण सिंह रघुवंशी का कहना है कि इस पंचायत में पीएम-जनमन के अंतर्गत मेडिकल मोबाइल यूनिट के जरिये प्राथमिक स्वास्थ्य जांच की व्यवस्था है। गांव में पेयजल की व्यवस्था के लिए दो नये हैंड पंप लगे हैं। नया गांव टपरा में हाल ही में प्रधानमंत्री जनमन आंगनबाड़ी केंद्र भी बना है। पूरे पंचायत के लोगों को लाडली बहना, मातृत्व योजना और पीएम किसान जैसी योजनाओं का लाभ भी मिल रहा है। पीएम जनमन के अंतर्गत हाल ही में एक नया बिजली का ट्रांसफर्मर भी लगने वाला है। जिससे जिन घरों में बिजली की सुविधा नहीं है, वहां भी बिजली की सुविधा पहुंचाई जा सकेगी।
आजादनगर बंधुआ जनजाति परिवारों की बस्ती है। जिसे 25 साल पहले तत्कालीन जिलाधिकारी ने बंधुआ मजदूरी से जनजाति परिवारों को आजादी दिलाकर बसाई थी। आजादनगर के पंचायत सचिव जीवन सिंह रघुवंशी का कहना पहले यह टपरों की बस्ती थी, आज यहां 48 जनजातीय परिवारों को पक्का मकान बना है। पहले यहां कच्ची सड़क हुआ करती थी है, आज पक्की सड़क बन गई है। पहले बस्ती में दो-चार हैंड पंप थे, आज नल जल योजना के अंतर्गत हर घर में नल की सुविधा हो गई है। बस्ती में आज आंगनबाड़ी केंद्र का निर्माण हो चुका है। इतना ही नहीं 238 लोगों में से 237 लोगों आधार कार्ड बन चुका है जिसके जरिये उन्हें सभी योजनाओं का लाभ सुगमतापूर्वक मिल सके। कुल मिलाकर इतना कहा जा सकता है कि इन जनजातीय इलाकों में पीएम-जनमन के कार्यान्वयन से आदिवासियों के जीवन में यह नई सुबह आई है।
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हिन्दुस्थान समाचार / अमरेश द्विवेदी