नरेन्द्र मोदी ने शाला प्रवेशोत्सव से स्कूल में दिलाया था प्रवेश, आज डॉक्टर बन दे रहे सेवा
गांधीनगर, 28 जून (हि.स.)। प्राथमिक स्कूल में प्रवेश जैसी बालक के जीवन में परिवर्तन लाने वाली महत्वपूर्ण घटना को विशेष महत्व मिलना ही चाहिए। स्कूल में प्रवेश बालक के विकास की प्रथम सीढ़ी होती है और जब बच्चा यह सीढ़ी चढ़ता है, तब स्कूल में उसका प्रवेश ऐसे वातावरण में होना चाहिए मानों गांव में कोई उत्सव हो। इसी सोच के साथ गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2003 में शिक्षा क्षेत्र में ‘शाला प्रवेशोत्सव’ जैसी नई पहल को रूप दिया था।
आज प्रवेशोत्सव पहल को दो दशक से अधिक का समय हो चुका है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने गुरुवार को महीसागर की कडाणा तहसील की दिवड़ा पीएम श्री स्कूल से शाला प्रवेशोत्सव के 23वें चरण का राज्यव्यापी शुभारंभ कराया। इस पहल से गुजरात के लाखों बच्चों को न केवल स्कूली शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिला है, बल्कि आज वे शिक्षक, डॉक्टर, इंजीनियर और चार्टर्ड एकाउंटेंट जैसे करियर के साथ उज्जवल भविष्य की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। ऐसा ही एक मामला है गुजरात के महीसागर जिले के डेभारी गांव के निवासी हेत कांतिभाई जोषी का, जिनका तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2007 में शाला प्रवेशोत्सव कार्यक्रम के माध्यम से प्राथमिक स्कूल में प्रवेश कराया था।
महीसागर जिले की वीरपुर तहसील स्थित डेभारी गांव के निवासी डॉ. हेत जोषी ने बताया कि वर्ष 2007 में मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी शाला प्रवेशोत्सव कार्यक्रम के लिए हमारे छोटे से गांव डेभारी में आए थे। गांव में उत्सव जैसा माहौल था। मोदी साहब ने मेरा और मेरे साथ के सभी बच्चों का डेभारी गांव के सरकारी प्राथमिक स्कूल में प्रवेश कराया था। उन्होंने हमें पढ़ाई के लिए स्लेट, स्कूल बैग और पेन भी दिए थे। डॉ. हेत ने कहा कि उस समय मोदी साहब ने एक छोटा-सा भाषण भी दिया था, जिसमें उन्होंने हमें शिक्षा का महत्व समझाया था। उन्होंने कहा था कि आप लोग कुछ वर्षों के बाद युवा हो जाओगे। आप लोग देश का युवाधन हैं, इस देश का भविष्य हैं।
डॉ. हेत जोशी ने बताया “जब मैं छोटा था, तब पढ़ाई से कोई खास लगाव नहीं था। मुझे बाल मंदिर में प्रवेश दिलाया गया था, लेकिन मुझे स्कूल जाना ज्यादा अच्छा नहीं लगता था। परन्तु, जब मैंने शाला प्रवेशोत्सव के माध्यम से प्राथमिक स्कूल में प्रवेश लिया और नए स्कूल में मेरे कुछ नए दोस्त बने, इसके बाद मुझे स्कूल जाने में मजा आने लगा। चार-पांच दिनों के बाद मैं बिना किसी विरोध के खुद ही स्कूल जाने लगा। फिर तो ऐसा हुआ कि घर से अधिक स्कूल में मजा आने लगा। इसके बाद तो पढ़ाई-लिखाई भी अच्छी लगने लगी। गणित और विज्ञान जैसे विषयों में रुचि पैदा हुई। विज्ञान विषय में रुचि होने के कारण कक्षा 10 के बाद मैंने विज्ञान संकाय चुना और डॉक्टर बनने का सपना देखा।”
नीट की परीक्षा में पास होने के बाद जामनगर की एम.पी. शाह मेडिकल कॉलेज में प्रवेश
डॉ. हेत ने बताया कि “शिक्षा की नींव तो तभी पड़ गई थी, जब मैंने सरकारी स्कूल में कक्षा 1 से 5 तक की पढ़ाई की थी। इसके बाद मैंने माध्यमिक शिक्षा यानी कक्षा 6 से 10 की पढ़ाई लुणावाड़ा के स्कूल में पढ़ाई की। इसके लिए मैं बस से अपडाउन करता था। बाद में मैंने कक्षा 11 और 12 साइंस के लिए वडोदरा के पार्थ स्कूल ऑफ साइंस एंड कंपीटिशन में दाखिला लिया। उस समय मेडिकल में प्रवेश के लिए ‘नीट’ की नई-नई शुरुआत हुई थी। नीट की परीक्षा के लिए मेरी तीसरी बैच ही थी। साइंस स्कूल में हमारा नियमित टेस्ट लिया जाता था और शिक्षकों द्वारा नियमित काउंसलिंग भी की जाती थी। जिस विषय में हम कमजोर होते थे, शिक्षक उसमें हमारी सहायता करते थे। आखिरी के 6-8 महीने बहुत मेहनत की और मेरा आत्मविश्वास बढ़ा। 12वीं की परीक्षा पास करने के बाद मैंने नीट की परीक्षा पास की, जिसमें मुझे 720 अंकों में से 555 अंक प्राप्त हुए और मुझे मेरिट के आधार पर जामनगर के एम.पी. शाह मेडिकल कॉलेज में एडमिशन मिला। यह एक सरकारी कॉलेज है, जिसमें फीस भी प्राइवेट कॉलेजों की तुलना में कम होती है। इसलिए आर्थिक दृष्टि से मुझे डॉक्टर बनने में ज्यादा कठिनाई नहीं हुई।”
वीरपुर तहसील के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में मेडिकल ऑफिसर के रूप में कार्यरत
डॉ. हेत जोषी ने कोविड-19 के दौर में एमबीबीएस के पहले और दूसरे वर्ष की परीक्षा दी थी। उन्होंने गत वर्ष यानी 2024 में ही एमबीबीएस के अंतिम वर्ष की परीक्षा पास की है और 2025 में उनकी मेडिकल इंटर्नशिप भी पूरी हो गई है। आज डॉ. हेत वीरपुर तहसील के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) में मेडिकल ऑफिसर के रूप में कार्यरत हैं।
शाला प्रवेशोत्सव कार्यक्रम से शुरू हुआ शिक्षा का सफर डॉ. हेत जोषी को डॉक्टर बनने की दिशा में आगे ले गया। आज वे राज्य के एक प्रतिभाशाली डॉक्टर हैं, जिनके सामने मेडिकल क्षेत्र में एक उज्ज्वल भविष्य है। डॉ. हेत कहते हैं कि शाला प्रवेशोत्सव कार्यक्रम के कारण ही उन्हें स्कूल का एक्सपोजर मिला है, जिसका उनके जीवन में काफी महत्व है।
डॉ. हेत जैसे अनेक बच्चे हैं, जिनके जीवन में शाला प्रवेशोत्सव कार्यक्रम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जिन बच्चों का स्कूल में प्रवेश कराया था, उनमें से कई छात्र आज शिक्षक, इंजीनियर, डॉक्टर और चार्टर्ड एकाउंटेंट बन गए हैं, जबकि कई छात्र उच्च शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं। शाला प्रवेशोत्सव कार्यक्रम गुजरात के शिक्षा क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन लेकर आया है।
------
हिन्दुस्थान समाचार / Abhishek Barad