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सैयदा हमीद : मानवता की आड़ में देशहित पर हमला

 




डॉ. मयंक चतुर्वेदी

गुवाहाटी से आई एक खबर ने पूरे देश की राजनीति को गरमा दिया है। योजना आयोग की पूर्व सदस्य और सामाजिक कार्यकर्ता सैयदा सैयदैन हमीद ने असम में यह कहकर देश हित को चुनौती दी है कि “अगर कोई बांग्लादेशी है तो इसमें गलत क्या है? वे भी इंसान हैं और धरती इतनी बड़ी है कि वे यहाँ रह सकते हैं।” वास्‍तव में देखा जाए तो उनके इस बयान ने न केवल असम की राजनीति बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी एक गंभीर बहस छेड़ दी है।

वस्‍तुत: उनकी कही बातें क्‍यों गंभीर हैं? तो वह इसलिए हैं क्‍योंकि विकिपीडिया जब उनका परिचय देता है तो वह कुछ इस तरह से शुरूआत करता है, “सैयदा सैयदैन हमीद (जन्म 1943) एक भारतीय सामाजिक और महिला अधिकार कार्यकर्ता, शिक्षाविद्, लेखिका और भारत के योजना आयोग की पूर्व सदस्य हैं। वह नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वीमेन की अध्यक्ष और वूमेन इनिशिएटिव फॉर पीस इन साउथ एशिया (डब्ल्यूआईपीएसए) और सेंटर फॉर डायलॉग एंड रिकंसिलिएशन की संस्थापक ट्रस्टी हैं।” बात यहां यह है कि पिछली कांग्रेस सरकारों में सैयदा हमीद बड़े बड़े पदों पर रहती आई हैं, अभी भी कहीं न कहीं वह विविध संगठनों में अपनी भूमिका निभा रही हैं, जिससे कि ये समझ में आता है कि आज भी उनकी प्रासंगिकता है और एक ऐसा व्‍यक्‍ति जो अपने आप में देश से उपकृत होता रहा हो, वह इस तरह से घुसपैठियों की वकालत करता नजर आए, यह निश्‍चित ही स्‍वीकार्य नहीं किया जा सकता है।

दरअसल सैयदा हमीद का यह कथन ऐसे समय में आया है जब असम सरकार समेत देश के कई राज्‍यों में अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों को बेदखल करने का व्यापक अभियान चलाया जा रहा है। ऐसे में वे आरोप लगा रही हैं कि असम सरकार मुसलमानों को बांग्लादेशी बताकर उनके खिलाफ कयामत ला रही है। “अल्लाह ने यह धरती इंसानों के लिए बनाई है, हैवानों के लिए नहीं। अगर कोई इंसान जमीन पर खड़ा है और उसे बेदखल किया जाता है तो यह मुसलमानों पर कयामत जैसा है।”

“अगर वे बांग्लादेशी हैं तो इसमें क्या गलत है? वे भी इंसान हैं।” “धरती इतनी बड़ी है कि बांग्लादेशी यहाँ भी रह सकते हैं।” उनके साथ प्रशांत भूषण, हर्ष मंदर, जवाहर सरकार जैसे कार्यकर्ता भी असम पहुँचे हैं और सरकार पर “मानवता विरोधी कदम” उठाने का आरोप लगा रहे हैं। लेकिन सवाल उठता है कि क्या सचमुच यह केवल इंसानियत का मामला है, या यह भारत की संप्रभुता और सुरक्षा का सवाल है?

https://x.com/KirenRijiju/status/1959831992372961653

रिजिजू का जवाब–मानवता के नाम पर गुमराह करने वाली बात

केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने सैयदा हमीद के बयान का कड़ा जवाब देते हुए इसे “मानवता के नाम पर गुमराह करने वाला” करार दिया है। उन्होंने कहा कि यह हमारी जमीन और पहचान का सवाल है। रिजिजू ने पूछा कि “बांग्लादेश और पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदू, सिख, बौद्ध और ईसाई क्यों प्रताड़ित किए जाते हैं?” उन्होंने साफ कहा कि सैयदा हमीद कांग्रेस नेतृत्व की करीबी हो सकती हैं लेकिन उन्हें अवैध प्रवासियों का समर्थन करने का कोई अधिकार नहीं है।

https://x.com/KirenRijiju/status/1959814343169900773

मुख्यमंत्री हिमंत सरमा की चेतावनी

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने भी हमीद और उनके साथ पहुँचे कार्यकर्ताओं पर निशाना साधते हुए कहा कि यह पूरी मुहिम असम में अवैध अतिक्रमणकारियों के खिलाफ चल रही वैध लड़ाई को कमजोर करने की सुनियोजित कोशिश है। उन्होंने कहा, “दिल्ली से आई टीम का उद्देश्य यही है कि वैध बेदखली को तथाकथित मानवीय संकट के रूप में प्रस्तुत किया जाए। लेकिन हम सतर्क और दृढ़ हैं, कोई भी दबाव या दुष्प्रचार हमें अपनी जमीन और संस्कृति की रक्षा करने से नहीं रोक सकता।”

https://x.com/himantabiswa/status/1959568916134715703

भाजपा नेता पिजुष हजारिका बोले–अपने घर में क्यों नहीं रखतीं?

असम भाजपा नेता पिजुष हजारिका ने हमीद पर तंज कसा कि अगर उन्हें प्रवासियों की इतनी चिंता है तो क्यों न वे उन्हें अपने घर में जगह दें? उन्होंने कहा कि “मानवता का ठेका लेकर असम पर बोझ डालना बंद होना चाहिए।” प्रदेश भाजपा ने भी सोशल मीडिया पर हमीद का वीडियो साझा करते हुए यही सवाल उठाया कि “क्यों न उनके जैसे लोग इस बोझ को अपने कंधों पर उठाएँ?” इसके साथ ही उन्‍होंने बहुत तीखे शब्‍दों में स्‍मरण कराया कि कैसे ये सैयदा हमीद मिया मुसलमानों की पैरोकार हैं, उन्‍होंने लिखा, “इस ज़हरीली मियाँ समर्थक- सैयदा हमीद का कांग्रेस और @GauravGogoiAsm के परिवार से पुराना नाता है। दरअसल, जब @INCAssam सत्ता में थी, तो उन्हें और विदेशी राजनयिकों को असम में मुसलमानों के लिए चुनौतियाँ विषय पर वेबिनार/सेमिनार में आमंत्रित किया जाता था।”

https://x.com/Pijush_hazarika/status/1959837223043674492

समझें : घुसपैठिए क्यों हैं देश के लिए नासूर

सैयदा हमीद ने जो बयान दिया, हो सकता है कुछ लोगों को वह केवल भावनात्मक अपील लगती हो, किंतु जो दिख रहा है, सिर्फ वह सच नहीं है, सच्चाई इससे कहीं ज्यादा खतरनाक है। आंकड़े बताते हैं कि अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों की मौजूदगी भारत के लिए सुरक्षा, सामाजिक संतुलन और आर्थिक स्थिरता पर सीधा हमला है। भारत की सीमित संसाधनों और योजनाओं पर ये घुसपैठिए अतिरिक्त बोझ डालते हैं। सरकारी योजनाओं के लाभ, राशन, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी सुविधाएँ असली नागरिकों के हिस्से से कट जाती हैं।

https://x.com/Pijush_hazarika/status/1959647042378359094

अपराध और अवैध गतिविधियाँ

खुफिया एजेंसियों की कई रिपोर्टों में यह सामने आया है कि बड़ी संख्या में अवैध प्रवासी स्मगलिंग, मानव तस्करी, नकली नोटों के कारोबार और मादक पदार्थों की तस्करी में शामिल पाए गए हैं। कई मामलों में इन घुसपैठियों का इस्तेमाल पाकिस्तान की आईएसआई और बांग्लादेशी आतंकी संगठनों द्वारा जासूसी के लिए किया गया है। गुप्त सूचनाएँ बाहर भेजने और आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के अनेक प्रमाण मिल चुके हैं। यहां तक कि आईएसआईएस एवं एचयूटी जैसे आतंकवादी संगठनों से जुड़े कई बांग्‍लादेशी भी पिछले दिनों भारत में पकड़े गए हैं।

जनसांख्यिकीय संकट

असम और बंगाल जैसे राज्यों में घुसपैठियों की वजह से स्थानीय जनसंख्या का संतुलन बदल रहा है। यह स्थानीय संस्कृति, भाषा और पहचान के लिए गंभीर खतरा है। दूसरी ओर कानून के स्‍तर पर भी 1985 के असम समझौते में साफ लिखा है कि 24 मार्च 1971 के बाद आए बांग्लादेशी नागरिक अवैध माने जाएँगे। ऐसे में इनका भारत में रहना किसी भी रूप में वैध नहीं है।

सैयदा हमीद इसलिए भी गलत हैं?

सैयदा हमीद ने कहा कि “बांग्लादेशी भी इंसान हैं और उन्हें रहने का हक है।” लेकिन यह बयान देशहित के खिलाफ है क्योंकि भारत किसी भी देश का डंपिंग ग्राउंड नहीं है। हर देश को यह अधिकार है कि वह अपने नागरिकों की पहचान और संसाधनों की रक्षा करे। अगर बांग्लादेशी यहाँ रहेंगे तो स्थानीय असमी, बंगाली हिंदू, बोडो, त्रिपुरी और अन्य समुदायों के अधिकारों का हनन होगा। अवैध प्रवास केवल असम ही नहीं बल्कि पूरे भारत की आंतरिक सुरक्षा और विकास को कमजोर करता है। जिन्‍हें मानवता के नाम पर राजनीति करनी है, वह भी समझ लें कि मानवता का तर्क केवल भावनाओं पर टिका है। लेकिन राष्ट्रहित कानून, आंकड़ों और ठोस हकीकत पर आधारित है। कोई भी सभ्य समाज यह नहीं कह सकता कि सीमा पार से आए लोग अनंत काल तक उसकी जमीन और संसाधनों पर कब्जा करते रहें।

यहां असल बात यह है कि सैयदा हमीद जैसे बयान देने वाले लोग मानवता की आड़ में भारत की संप्रभुता और सुरक्षा को कमजोर करने का काम कर रहे हैं। घुसपैठिए न केवल स्थानीय लोगों के अधिकार छीनते हैं, बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था पर बोझ, अपराधों में बढ़ोतरी और राष्ट्रीय सुरक्षा पर खतरा भी बनते हैं। इसलिए यह स्थापित करना बेहद जरूरी है कि अवैध बांग्लादेशी घुसपैठिए भारत के लिए नासूर हैं। मानवता का झूठा चोला ओढ़कर उनकी पैरवी करना न केवल गुमराह करने वाला है बल्कि देशहित के खिलाफ सीधा अपराध है और अपराधी के लिए भारत का संविधान सजा का प्रावधान करता है।

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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. मयंक चतुर्वेदी