निजी डबरी से बदली त्रिपतीनाथ केवट की तक़दीर, डबरी बनी सहारा, मछली पालन से लौटी मुस्कान और आत्मसम्मान
कोरबा/जांजगीर-चांपा, 30 दिसंबर (हि.स.)।ग्राम पंचायत बनाहिल जनपद पंचायत अकलतरा के जिला जांजगीर-चांपा के हितग्राही त्रिपतीनाथ केवट के लिए जीवन कभी आसान नहीं रहा। सीमित साधन, पानी की कमी के कारण परिवार की आजीविका हमेशा अनिश्चितता में घिरी रहती थी। खेतों में सिंचाई का साधन नहीं था और मछली पालन का सपना केवल सोच बनकर रह गया था। मनरेगा अंतर्गत हितग्राही मूलक निजी डबरी निर्माण कार्य ने इस संघर्ष भरे जीवन में आशा की नई किरण जगाई। वर्ष 2024 में स्वीकृत इस कार्य से न केवल रोजगार मिला, बल्कि एक स्थायी साधन भी तैयार हुआ। 842 मानव दिवस के सृजन से 58 श्रमिक परिवारों को मेहनत की मजदूरी मिली और गांव में काम का माहौल बना।
जहां कभी सूखी, अनुपयोगी भूमि थी, वहां अब पानी से भरी डबरी जीवन का आधार बन चुकी है। डबरी के निर्माण के बाद त्रिपतीनाथ केवट ने मछली पालन प्रारंभ किया। पहली बार उन्हें यह एहसास हुआ कि मेहनत का फल केवल आज नहीं, बल्कि आने वाले कल के लिए भी सुरक्षित है। डबरी में संचित जल से बाड़ी और आसपास की खेती को भी सिंचाई मिलने लगी, जिससे उत्पादन बढ़ा और भू-जल स्तर में सुधार हुआ। हितग्राही भावुक स्वर में कहते हैं कि “पहले रोज़ी की चिंता में रातें कटती थीं, आज मेहनत से कमाई हो रही है और बच्चों का भविष्य सुरक्षित लगने लगा है।”
ग्राम पंचायत के सरपंच एवं रोजगार सहायक बताते हैं कि यह कार्य केवल एक निर्माण नहीं, बल्कि एक परिवार को आत्मनिर्भर बनाने की नींव है। डबरी के आसपास उन्होंने पपीता के पेड़ भी लगाए जिसे नियमित रूप् से पपीता की खेती कर रहे है। साथ ही डबरी की मेड़ पर उन्होंने अरहर भी लगाई है, जिससे उन्हें अतिरिक्त आय हो रही है। यह कहानी प्रमाण है कि मनरेगा सिर्फ मजदूरी नहीं, बल्कि सम्मान, सुरक्षा और स्थायी आजीविका का भरोसा है। निजी डबरी आज त्रिपतीनाथ केंवट के लिए केवल जलस्रोत नहीं, बल्कि आत्मविश्वास, स्वाभिमान और बेहतर भविष्य का प्रतीक बन चुकी है।
हिन्दुस्थान समाचार / हरीश तिवारी