भ्रष्टाचार की 'साये' में बांग्लादेश, तंजानिया, मेक्सिकाे और पेरू का 'महिला नेतृत्व'
नवनी करवाल
नई दिल्ली, 8 नवंबर (हि.स.)। राजनीति में महिलाओं का 'आगे' बढ़ना हमेशा से ही विवादास्पद रहा है, जहां अक्सर उनपर मेहनत की बजाय कुछ 'दूसरें रास्ताें' से ऊपर उठने के आराेप लगते रहे हैं।
हालांकि इन्हें 'जेंडर बायस' कहकर नकारते हुए अगर हम इसे परिवर्तन और नई दिशा का 'अन्वेषण' मान भी लें, ताे भी सत्ता पर काबिज हाेने के बाद इन महिला नेत्रियाें से जुड़े भ्रष्टाचार के कारनामें इनसे बंधी उम्मीदाे पर पानी फेर देते हैं ।
सबसे पहले पड़ाेसी देश की 'आयरन लेडी' पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की छवि काे दागदार करते उनके भ्रष्टाचार की लंबी फेहरिस्त के पन्नाे काे पलटते हैं। पन्द्रह साल तक देश की राजनीति काे मुटठी में जकड़े रखने के बाद आखिरकार 2024 के छात्र आंदाेलन के बाद ही ये सत्ताच्युत हुईं। अब इसके राजनीतिक कारणाें काे अनदेखा करते हुए अगर आगे बढ़ा जाए ताे इनपर सरकारी प्लाटाें के आवंटन में घपले, रिश्वतखाेरी और सरकारी निधि का दुरूपयाेग करने के आराेप हैं। इसमें उनके बेटे साजिद वाजेद जाय और बेटी साइमा वाजेद के नाम भी शामिल हैं। इन सभी पर विदेशी संपत्तियाें के गबन और बेनामी संपत्तियाें के आराेप भी हैं।
वर्तमान समय में भारत में शरण ले चुकी हसीना काे बांग्लादेश की अदालत ने उनकी गैर माैजूदगी में अवमानना के मामले में छह महीने की सजा सुनाई है और कई अन्य मामलाें में उनके खिलाफ गिरफ्तारी के वारंट जारी किए जा चुके है। इतनी विवादस्पद हाे गईं हैं ये महिला नेत्री अपने देश में कि आज शायद ही वह अपनी धरती पर वापस जा पांएगी।
तंजानिया की पहली महिला राष्ट्रपति सामिया सुलुहू हसन, मेक्सिको की नवनिर्वाचित राष्ट्रपति क्लाउडिया शेनबाॅम और पेरू की पूर्व राष्ट्रपति डिना बोलुआर्टे—ये तीनों नाम भी लैंगिक समानता के लिए मील के पत्थर हैं, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों से जूझती सत्ता की कड़वी सच्चाई काे भी ये नाम उजागर करते है।
तंजानिया की राजधानी डोदोमा में 2021 का सूर्योदय सामिया सुलुहू हसन के लिए ऐतिहासिक था। पूर्व राष्ट्रपति जॉन मगुफुली की अचानक मौत के बाद वह अफ्रीका की पहली 'मुस्लिम महिला' राष्ट्रपति बनीं। उनकी नियुक्ति को लोकतंत्र की जीत माना गया। एक ऐसी नेत्री जो शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक सुधारों पर जोर देगी। लेकिन चार साल बाद, 2025 के चुनावों में उनकी छवि बदल चुकी है। विपक्ष उन्हें “तानाशाह ” और “भ्रष्टाचार की रक्षक” कहने लगा है। हसन पर आरोप हैं कि उन्होंने मगुफुली की दमनकारी विरासत को आगे बढ़ाया। 2025 के चुनावों में विपक्षी चिशेम्बेरे पार्टी को दबाने के लिए सुरक्षा बलों का इस्तेमाल, मीडिया पर सेंसरशिप और सरकारी ठेकों में भाई-भतीजावाद—ये सब भ्रष्टाचार के नए रूप हैं।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, तंजानिया में भ्रष्टाचार सूचकांक में गिरावट आई हैं और हसन सरकार पर सरकारी निधियाें के गबन के आरोप लगे हैं। विपक्षी नेता तानो लिबेरेशन पार्टी के प्रवक्ता कहते हैं, “सामिया ने वादा किया था समावेश का, लेकिन सत्ता ने उन्हें ‘कुछ और ही ’ बना दिया।” उनकी सरकार पर पर्यावरणीय परियोजनाओं में रिश्वतखोरी के भी आरोप हैं, जहां विदेशी निवेशकों को फायदा पहुंचाने के चक्कर में स्थानीय समुदाय प्रभावित हुए। फिर भी, हसन तमाम दमनकारी नीतियां अपनाते हुए चुनावों में 80% मताें के साथ जीती हैं। हालांकि इसे लाेकतंत्र की जीत की बजाय एक तानाशाह की स्वत ताजपाेशी कहा गया है।
मेक्सिको सिटी की हलचल भरी सड़कों पर 2024 में जून का महीना कुछ अगल रहा। वैज्ञानिक पृष्ठभूमि वाली क्लाउडिया शेनबाॅम, लैटिन अमेरिका की पहली 'यहूदी' राष्ट्रपति बनीं। पूर्व राष्ट्रपति आंद्रेस मैनुअल लोपेज ओब्राडोर (एएमएलओ) की उत्तराधिकारी के रूप में उन्होंने भ्रष्टाचार-विरोधी अभियान का वादा किया। लेकिन 2025 के पहले ही साल में, उनकी सरकार पर 51 भ्रष्टाचार के मामले दर्ज हो चुके हैं। शेनबाउम की मोरेना पार्टी पर संगठित अपराध, ड्रग कार्टेल्स और सरकारी अनुबंधों में साठगांठ के आरोप हैं।
एक अध्ययन से पता चला कि मेक्सिको में महिला मेयर पुरुषों जितनी ही भ्रष्ट साबित हुईं हैं। स्थानीय ऑडिट्स में महिलाओं के नेतृत्व वाले नगरों में भी रिश्वत और गबन आम है। शेनबाॅम पर व्यक्तिगत आरोप नहीं हैं , लेकिन उनकी सरकार की निष्क्रियता ने अपराध दर बढ़ाई है। इस साल देश में 30,000 से अधिक लाेगाें की हत्याएं हुई हैं। फिर भी, उनकी लोकप्रियता 70% से ऊपर बनी हुई है जाे उनके 'ड्रग कार्टेल्स' के साथ कथित संबधाें से पाेषित हाे रही है। शेनबाॅम ने कहा था, “भ्रष्टाचार पुरुषों का खेल था, हम इसे बदलेंगी,” लेकिन आंकड़े अब कुछ और ही कहानी कहते हैं।
पेरू की राजधानी लीमा में दिसंबर 2022 का एक ठंडा दिन 'डिना बोलुआर्टे' के लिए सपनों जैसा था। उप राष्ट्रपति से राष्ट्रपति बनीं वह दक्षिण अमेरिका की पहली महिला नेता थी। उन्होंने भ्रष्टाचार काे “कैंसर” घोषित किया था। लेकिन तीन साल बाद, इस साल अक्टूबर में कांग्रेस ने उन्हें अपराध वृद्धि और भ्रष्टाचार के आरोपों में बर्खास्त कर दिया। “रोलैक्सगेट” स्कैंडल ने उनकी साख धूल में मिला दी। बोलुआर्टे पर आरोप कि उन्होंने रिश्वत में रोलैक्स घड़ियां और आभूषण लिए और बदले में मंत्रालयों को बजट दिए।
पेरू में 2016 से चली आ रही भ्रष्टाचार की लहर में बोलुआर्टे का नाम भी जुड़ गया। उनकी सरकार पर संगठित अपराध को संरक्षण देने का भी इल्जाम लगा, जिससे 2025 में अपराध दर 40% बढ़ी। बर्खास्तगी के बाद, वह देश से भागने में नाकाम रही है। हालांकि उन्हाेंने मेक्सिकाें के दूतावास में शरण ली हुई है।
बोलुआर्टे ने कहा, “मैं निर्दोष हूं,” लेकिन जनता के विरोध प्रदर्शन उनकी 'अलाेकप्रियता साबित करते हैं। पेरू की महिलाओं के लिए यह एक ऐसा झटका था जिसने उनकी सारी उम्मीदे ताेड़ के रख दी।
सत्ता के इस 'लैंगिक-तटस्थ' रूप ने यह सिद्ध कर दिया है कि भ्रष्टाचार लिंग नहीं देखता।
बांग्लादेश, तंजानिया, मेक्सिको और पेरू की ये महिलाएं सत्ता की ऊंचाइयों पर ताे पहुंचीं, मगर भ्रष्टाचार की गहरी खाई में ये महिला नेत्रियां ऐसी गिरीं कि इनसे आस लगाए बैठी महिलाएं और पुरूष- राजनीति की रेतीली जमीन पर फिर कुछ नया उकेरने की उम्मीद ही खाे बैठे हैं। उन्हें मालूम है कि पानी का बहाव या फिर हवा का एक झाेंका उनके लिखे काे मिटाकर चला जाएगा ।
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हिन्दुस्थान समाचार / नवनी करवाल