कमल नदी पुरोला के लाल धान की खेती का वरदान
उत्तरकाशी, 21 अक्टूबर (हि.स.)। पुरोला में बहने वाली कमल नदी का अपना अलग ही महत्व है। कमल नदी यहाँ के लोगों की जीवनरेखा है।
यह नदी कोई ग्लेशियर से निकलने वाली नहीं है, बल्कि यह तो कमलेश्वर स्थित जंगल के बीच एक प्राकृतिक जलस्रोत से निकलती है। जो सदाबहार जलधारा है।
यह जलधारा कमल नदी के रूप में लगभग 30 किमी बहकर नौगाँव के पास यमुना में संगम बनाती है जो कि क्रमशः कमलेश्वर से गुन्दियाट गांव,रामा, बेष्टी, कण्डियाल गाँव, कुमोला, देवढुंग, पुरोला, चन्देली, नेत्री, हुडोली, सुनाराछानी, थलीछानी सहित 55 गाँवों की खेती को सिंचित करते हुए नौगाँव स्थित यमुना से मिल जाती है।
शुद्ध और बारहमास बहने वाली कमल नदी शनै-शनै बहती हुई अपने आस-पास की लगभग 4500 हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचित करती है। ज्ञात हो कि यदि इस क्षेत्र से कमल नदी नहीं बहती तो शायद ही यहाँ भी राज्य के अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा पलायन का ग्राफ सर्वाधिक होता और इतनी सुरम्य घाटी विरान ही नजर आती। प्राकृतिक सौन्दर्य को समेटे यहाँ ‘सिरांई’ नाम से प्रसिद्ध घाटी यानि रामासिरांई, कमलसिंराई पट्टी के लोगों की कमल नदी एक जीवनरेखा है। इसी नदी की देन है कि यहाँ पैदा होने वाला ‘लाल चावल’ देश-दुनिया में विख्यात है।
बता दें कि रामासिरांई, कमलसिंराई क्षेत्र में लाल चावल की भारी पैदावार होने की वजह से जहाँ यह क्षेत्र के लोगों को अपने स्वाद से बाँधे रखता है वहीं पड़ोसी राज्य हिमाचल के आधा किनौर क्षेत्र की पूर्ति भी सिंराई (पुरोला) क्षेत्र का ‘लाल चावल’ करता है।
लाल चावल यहां के लोगों की प्रमुख नगदी फसलो में से एक है जो कि पुरोला और नौगाँव विकासखण्ड के लगभग 130 गाँवों के लोग की अजीविका का मुख्य स्रोत है। कमल नदी के कारण ही यहाँ लोगों की आजीविका सुरक्षित है। इस नदी को लोग ‘अमृत पानी’ कहते हैं। इसी नदी के कारण इस क्षेत्र में नगदी फसल चावल, मटर, टमाटर, बीन, खीरा आदि फसलों की उपज लोगों की आजीविका से जुड़ी है।
लाल चावल का महत्त्व
लाल चावल में सफेद चावलों की तुलना में जटिल कार्बोहाईड्रेट पाया जाता है। इस चावल में ग्लाईसेमिक इण्डेक्स कम होने की वजह से रक्त में ग्लूकोज की मात्रा को नियंत्रित करता है। लाल चावल में मैग्नीशियम, आयरन और एंटीऑक्सीडेंट की प्रचुर मात्रा पाई जाती है। जिंक उपस्थित होने की वजह से घाव भरने में मदद करता है साथ ही प्रतिरक्षात्मक सहयोग प्रदान करता है और इसमें विटामिन ‘बी’ की 23 प्रतिशत की मात्रा पाई गई है।
लाल चावल में उपस्थित यह विटामिन सेरोटोनीन लाल रक्त कोशिकाओं के सन्तुलन में सहयोग प्रदान करता है। फाईबर की भी अधिक मात्रा इस चावल में पाई गई है। यह खराब कलोस्ट्रोल को कम करता है और अच्छे कलोस्ट्रोल को बढ़ाने में सहायक बताया गया है।
हिन्दुस्थान समाचार / चिरंजीव सेमवाल