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बलरामपुर : मनरेगा से बदली किसान की किस्मत, डबरी निर्माण ने खेती को दिया नया सहारा

 




बलरामपुर, 15 दिसंबर (हि.स.)। बलरामपुर रामानुजगंज जिले से लगभग 65 किलोमीटर दूर शंकरगढ़ विकासखंड के ग्राम पंचायत दोहना में रहने वाले बसंत की कहानी ग्रामीण विकास की एक प्रेरक मिसाल बनकर सामने आई है। कभी बारिश पर निर्भर खेती करने वाले बसंत आज मनरेगा के तहत बने फार्म पोंड के सहारे अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं।

बसंत बताते हैं कि पहले उनकी खेती पूरी तरह मानसून पर टिकी रहती थी। कभी बेमौसम बारिश तो कभी पानी की कमी के कारण फसलें प्रभावित हो जाती थीं। सिंचाई के स्थायी साधन न होने से उन्हें हर साल नुकसान उठाना पड़ता था और कई बार अपेक्षित उत्पादन भी नहीं मिल पाता था।

ग्राम सभा में जब महात्मा गांधी नरेगा योजना के तहत व्यक्तिगत हितग्राही कार्यों की जानकारी दी गई, तब उन्हें डबरी निर्माण के लाभों के बारे में पता चला। बताया गया कि खेत में पानी का भंडारण होने से सिंचाई आसान होगी और फसल उत्पादन बढ़ाया जा सकेगा। इस जानकारी के बाद बसंत ने ग्राम पंचायत में आवेदन किया। स्वीकृति मिलने पर खेत में कृषि डबरी का निर्माण कराया गया।

बसंत के पास लगभग ढाई एकड़ कृषि भूमि है। डबरी बनने के बाद खेतों में सिंचाई की समस्या काफी हद तक खत्म हो गई है। वे बताते हैं कि पहले जमीन के कुछ हिस्सों में पानी नहीं पहुंच पाता था, जिससे फसल कमजोर रह जाती थी। पशुओं के लिए भी पानी की व्यवस्था नहीं थी, लेकिन अब खेत में ही स्थायी जल स्रोत उपलब्ध है।

सिंचाई सुविधा मिलने से अब बसंत खरीफ और रबी दोनों मौसम की फसलें ले पा रहे हैं। इससे उनकी आय में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है और आर्थिक स्थिति पहले से बेहतर हुई है। उन्होंने डबरी में मत्स्य पालन भी शुरू किया है, जिससे भविष्य में अतिरिक्त आमदनी की उम्मीद है।

आज बसंत न केवल खुद लाभान्वित हो रहे हैं, बल्कि गांव के अन्य किसानों को भी डबरी निर्माण का महत्व समझाकर इस योजना का लाभ लेने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। उनकी कहानी यह दर्शाती है कि सही योजना और समय पर मिला सहयोग ग्रामीण जीवन में बड़ा बदलाव ला सकता है।

हिन्दुस्थान समाचार / विष्णु पांडेय