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Taiwan की नई सैन्य रणनीति: अंडरवाटर और हवाई ड्रोन का निर्माण

Taiwan is taking significant steps to bolster its military capabilities in response to ongoing threats from China. The island nation is developing advanced underwater and aerial drones capable of carrying weapons and conducting attacks. With a focus on cost-effective production and cutting-edge technology, Taiwan aims to establish itself as a hub for drone manufacturing in Asia. Collaborating with American company Auterion, Taiwan plans to increase its drone production significantly by 2028. This strategic move not only enhances Taiwan's defense but also poses a diplomatic challenge to China. Discover how Taiwan's innovative approach could reshape the regional security landscape.
 

ताइवान की सैन्य तैयारी में नया मोड़

अंतरराष्ट्रीय समाचार: चीन की लगातार धमकियों और सैन्य घुसपैठों के बीच, ताइवान ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। अब ताइवान ऐसे अंडरवाटर और हवाई ड्रोन विकसित कर रहा है जो युद्ध में हथियार ले जाने और हमले की क्षमता रखते हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध में जिन तकनीकों का प्रभाव देखा गया, अब ताइवान भी उनका उपयोग करने की योजना बना रहा है। चीन ताइवान के एयरस्पेस में बार-बार घुसपैठ करता है और कब्जे की धमकी देता रहता है। इसी दबाव के चलते, ताइवान ने अपनी सैन्य तैयारियों को युद्ध स्तर पर बढ़ा दिया है। ये ड्रोन न केवल निगरानी के लिए उपयोगी होंगे, बल्कि युद्ध के समय दुश्मन पर हमला करने में भी सक्षम होंगे।


समुद्री युद्ध की तैयारी में तेजी

ताइवान के यिलान शहर में हाल ही में एक ड्रोन प्रदर्शनी का आयोजन किया गया, जिसमें 12 से अधिक देशों की कंपनियों ने भाग लिया। यहां अनक्रूड सी व्हीकल यानी अंडरवाटर ड्रोन का प्रदर्शन किया गया। ताइवान ने स्पष्ट किया है कि इन ड्रोन का बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जाएगा और समुद्री युद्ध में इनका उपयोग किया जाएगा। इन अंडरवाटर ड्रोन की विशेषता यह है कि ये दुश्मन की नजरों से बचकर हमला कर सकते हैं और इन्हें संचालित करना भी काफी सस्ता और सरल है। समुद्री सुरक्षा में ये एक महत्वपूर्ण बदलाव ला सकते हैं।


ब्लैक टाइड सी ड्रोन की विशेषताएँ

प्रदर्शनी में सबसे अधिक चर्चा का विषय ब्लैक टाइड सी ड्रोन रहा, जो 80 किमी प्रति घंटे की गति से चल सकता है। इसे इंटेलिजेंस, निगरानी और सीधे हमले के लिए उपयोग किया जा सकता है। इसके साथ ही एक सस्ता स्टील्थ ड्रोन भी प्रदर्शित किया गया, जो बमबारी और सर्विलांस के लिए उपयोगी होगा। ताइवान सरकार का दावा है कि इन ड्रोनों का उत्पादन करना बेहद आसान और लागत प्रभावी है, जिससे उन्हें चीन जैसे बड़े ड्रोन उत्पादक देश से मुकाबला करने में मदद मिलेगी। इन ड्रोनों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करके लक्ष्य साधने की क्षमता विकसित की जा रही है। ये समुद्र में लंबे समय तक गश्त कर सकते हैं और दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रख सकते हैं। ब्लैक टाइड जैसे ड्रोन संकरी समुद्री गलियों में भी बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। इनमें सोलर चार्जिंग तकनीक शामिल की जा रही है, जिससे ऑपरेशन का समय बढ़ाया जा सके। ताइवान का दावा है कि इस तकनीक से वह चीन की निगरानी प्रणाली को मात दे सकता है।


अमेरिका के साथ तकनीकी सहयोग

ताइवान को अमेरिकी कंपनी Auterion का सहयोग भी प्राप्त हुआ है। इस कंपनी ने ताइवान के साथ मिलकर हाईटेक ड्रोन बनाने का समझौता किया है। ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने कहा है कि देश को ड्रोन निर्माण में एशिया का केंद्र बनाया जाएगा। वर्तमान में ताइवान हर साल 8 से 10 हजार ड्रोन बनाता है, लेकिन सरकार ने 2028 तक इस संख्या को बढ़ाकर हर साल 1.80 लाख करने का लक्ष्य रखा है। Auterion के साथ साझेदारी से ताइवान को नेविगेशन, सेंसिंग और कम्युनिकेशन सिस्टम में नई तकनीक मिलेगी। यह सहयोग चीन के लिए कूटनीतिक रूप से भी एक बड़ी चुनौती मानी जा रही है। अमेरिका की मौजूदगी ताइवान को सैन्य आत्मनिर्भरता की दिशा में एक मजबूत आधार प्रदान करेगी। इस समझौते में प्रशिक्षण, रिसर्च एंड डेवलपमेंट और उत्पादन में सहयोग शामिल है। राष्ट्रपति चिंग-ते ने कहा कि आने वाले वर्षों में ड्रोन क्षेत्र में हजारों रोजगार भी उत्पन्न होंगे।


कम लागत और उच्च तकनीक पर ध्यान

ताइवान की रणनीति स्पष्ट है—कम कीमत में अत्याधुनिक ड्रोन तैयार करना। अब तक, चीन के ड्रोन ताइवान के मुकाबले काफी सस्ते थे, जिससे बाजार में चीन का दबदबा बना हुआ था। लेकिन अब ताइवान की योजना है कि वह स्मार्ट और किफायती ड्रोन बनाकर न केवल मुकाबला करे, बल्कि समुद्री युद्ध में बढ़त भी बनाए। नई नीति के तहत ताइवान स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा दे रहा है ताकि लागत कम हो सके। सरकार कंपनियों को सब्सिडी दे रही है, जिससे R&D क्षेत्र मजबूत हो सके। ड्रोन के डिज़ाइन को मॉड्यूलर बनाया गया है ताकि आवश्यकता अनुसार उसे कस्टमाइज़ किया जा सके। कम कीमत पर बनने वाले ये ड्रोन एशियाई देशों के लिए भी निर्यात का विकल्प बन सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ताइवान आने वाले समय में चीन के ड्रोन बाजार को चुनौती दे सकता है।