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UNSC में भारत का पाकिस्तान को करारा जवाब: महिलाओं की सुरक्षा पर उठे सवाल

भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान के झूठे आरोपों का कड़ा जवाब दिया है। इस बहस में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पर्वथनेनी हरीश ने पाकिस्तान की भ्रामक बयानबाजी पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने पाकिस्तान को 1971 के ऑपरेशन सर्चलाइट की याद दिलाते हुए कहा कि यह वही देश है जिसने अपनी ही महिलाओं के खिलाफ सामूहिक बलात्कार जैसे नरसंहार को मंजूरी दी थी। जानें इस बहस में और क्या हुआ और पाकिस्तान की झूठी बयानबाजी पर भारत का क्या कहना था।
 

भारत ने पाकिस्तान के झूठे आरोपों का किया खंडन

India Pakistan UNSC: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत ने एक बार फिर पाकिस्तान के भ्रामक आरोपों का कड़ा जवाब दिया है। महिलाओं की शांति और सुरक्षा पर चर्चा के दौरान, भारत के स्थायी प्रतिनिधि पर्वथनेनी हरीश ने पाकिस्तान की गलत बयानबाजी पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि ऐसे झूठे दावे न केवल निराधार हैं, बल्कि पाकिस्तान की अपनी काली करतूतों को छिपाने का प्रयास हैं।


हरीश ने कहा कि हर साल भारत को पाकिस्तान की भ्रामक बयानबाजी का सामना करना पड़ता है, जिसमें जम्मू-कश्मीर पर अवैध दावे किए जाते हैं। भारत ने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान के आरोपों का कोई आधार नहीं है और यह देश अपने ही इतिहास के काले अध्यायों को भुलाकर झूठा नैरेटिव फैलाने में लगा है।




पाकिस्तान की झूठी बयानबाजी पर भारत का पलटवार

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बोलते हुए, भारत के स्थायी प्रतिनिधि पर्वथनेनी हरीश ने कहा, "हर साल हमें दुर्भाग्यवश पाकिस्तान की भ्रमित बयानबाजी सुननी पड़ती है, विशेषकर जम्मू-कश्मीर पर, जो भारतीय क्षेत्र है जिस पर वे लालायित हैं।" उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान महिलाओं के अधिकारों के उल्लंघन का दोषी है और दुनिया को अतिशयोक्ति और झूठे प्रचार से गुमराह करने का प्रयास कर रहा है।


हरीश ने पाकिस्तान को 1971 के ऑपरेशन सर्चलाइट की याद दिलाते हुए कहा, "यह वही देश है जिसने 1971 में ऑपरेशन सर्चलाइट चलाया था और अपनी ही नागरिक महिलाओं के खिलाफ 4 लाख से अधिक के साथ सामूहिक बलात्कार जैसे नरसंहार अभियान को मंजूरी दी थी। दुनिया पाकिस्तान के इस प्रचार को भली-भांति पहचानती है।"


पाकिस्तान ने फिर उठाया कश्मीर का मुद्दा

भारत की यह प्रतिक्रिया पाकिस्तान की प्रतिनिधि सायमा सलीम के बयान के बाद आई, जिन्होंने कश्मीरी महिलाओं की स्थिति पर चिंता जताते हुए भारत पर आरोप लगाए कि दशकों से कब्जे में रहने के कारण कश्मीरी महिलाएं यौन हिंसा का शिकार हुई हैं।


सायमा ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग, एमनेस्टी इंटरनेशनल, ह्यूमन राइट्स वॉच और मेडिसिन्स सैन्स फ्रंटियर्स जैसे संगठनों ने इन उल्लंघनों को दर्ज किया है। उन्होंने आगे कहा कि कश्मीरी महिलाओं को विमेन, पीस एंड सिक्योरिटी एजेंडा से बाहर रखना उसकी वैधता को कमजोर करता है और भविष्य की रिपोर्टों में उनके हालात को शामिल किया जाना चाहिए।


क्या था ऑपरेशन सर्चलाइट?

ऑपरेशन सर्चलाइट मार्च 1971 में पाकिस्तानी सेना द्वारा चलाया गया एक सैन्य अभियान था, जिसका उद्देश्य तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में चल रहे बंगाली राष्ट्रवादी आंदोलन को कुचलना था।


इस दौरान करीब 3 लाख से 30 लाख तक बंगालियों की हत्या कर दी गई थी और लगभग 4 लाख महिलाओं के साथ बलात्कार जैसी भयावह घटनाएं हुईं। इस नरसंहार और यौन हिंसा के कारण लगभग 1 करोड़ बंगाली शरणार्थी भारत आए, जिसके बाद भारत ने हस्तक्षेप करते हुए 1971 के मुक्ति संग्राम में सहयोग दिया, और अंततः बांग्लादेश का जन्म हुआ।


महिलाओं की शांति और सुरक्षा पर यूएन में चर्चा

इस बहस का आयोजन यूएनएससी के महिलाओं, शांति और सुरक्षा एजेंडा के तहत किया गया था, जो संकल्प संख्या 1325 के 25 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित हुआ। यह प्रस्ताव वर्ष 2000 में पारित किया गया था, जिसका उद्देश्य संघर्ष की स्थिति में महिलाओं और लड़कियों पर होने वाले प्रभावों को रोकना और उनके अधिकारों की रक्षा करना है।


भारत का दो टूक संदेश

इससे पहले भी सितंबर माह में भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के भ्रामक भाषण पर तीखी प्रतिक्रिया दी थी। उस समय पाकिस्तान ने भारत की ऑपरेशन सिंदूर पर गलत जानकारी दी थी।


भारत ने साफ कहा कि पाकिस्तान बार-बार झूठ बोलकर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी छवि सुधारने की कोशिश कर रहा है, लेकिन दुनिया अब उसकी प्रचार नीति को समझ चुकी है।