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US Court Ruling on Trump Tariffs: Implications for India

The recent US court ruling has declared Trump's tariffs illegal, significantly impacting India's trade landscape. This decision could relieve Indian exporters in sectors like pharmaceuticals and automotive, while stabilizing prices for consumers. With the potential for increased trade negotiations and reduced tariffs, India may find itself in a more advantageous position. However, the ruling does not affect existing tariffs on steel and aluminum, leaving some challenges ahead. Explore how this ruling reshapes India's economic future and trade relations with the US.
 

ट्रंप टैरिफ का प्रभाव: एक नया मोड़

अप्रैल में, ट्रंप प्रशासन ने विभिन्न देशों पर भारी टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। यह टैरिफ उन देशों पर लागू किया गया था, जो अमेरिका से कम सामान खरीदते हैं और अधिक सामान बेचते हैं। इसे 'लिबरेशन डे' टैरिफ कहा गया। हाल ही में, अमेरिका की एक फेडरल कोर्ट ने इस टैरिफ को गैरकानूनी ठहराया, यह कहते हुए कि अमेरिकी संविधान के अनुसार, विदेशी व्यापार को नियंत्रित करने का अधिकार केवल अमेरिकी कांग्रेस के पास है, न कि राष्ट्रपति के पास।


भारत पर संभावित प्रभाव

भारत पर क्या होगा असर?



  1. इस अदालत के फैसले से फार्मास्यूटिकल्स, टेक्सटाइल्स और ऑटोमोटिव जैसे क्षेत्रों पर अतिरिक्त शुल्क का बोझ कम हो गया है। इससे भारत के निर्यातकों को लाभ मिल सकता है। अमेरिका की चीन-केंद्रित व्यापार नीतियों में कमी से भारत को एक वैकल्पिक आपूर्तिकर्ता के रूप में उभरने का अवसर मिल सकता है।

  2. ट्रंप के टैरिफ ने आयातित वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि की थी, जिसका असर भारतीय उपभोक्ताओं पर भी पड़ सकता था। अब टैरिफ के रद्द होने से कीमतों में स्थिरता आ सकती है, जिससे भारतीय आयातकों और उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी।

  3. भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ताओं में अब भारत को अधिक लाभकारी स्थिति मिल सकती है। भारत ने पहले ही मोटरसाइकिल और व्हिस्की जैसे उत्पादों पर टैरिफ कम करने की पेशकश की थी, और यह फैसला भारत को अपनी शर्तों पर बातचीत करने का अतिरिक्त लाभ दे सकता है।

  4. टैरिफ के कारण वैश्विक व्यापार में अस्थिरता थी, जिससे भारतीय निर्यातक प्रभावित हो सकते थे। इस फैसले से वैश्विक बाजारों में स्थिरता की उम्मीद है, जिसका सकारात्मक प्रभाव भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है।


प्रमुख क्षेत्रों पर प्रभाव

प्रमुख क्षेत्रों पर प्रभाव



  • फार्मास्यूटिकल्स: भारत अमेरिका को 12 अरब डॉलर से अधिक की दवाएं निर्यात करता है। टैरिफ लागू होने से दवाओं की कीमतें बढ़ सकती थीं, जिससे भारत की प्रतिस्पर्धा प्रभावित होती। अब इस क्षेत्र को राहत मिलेगी।

  • टायर और ऑटोमोटिव: भारतीय टायर उद्योग, जो अमेरिका को 17% निर्यात करता है, टैरिफ से प्रभावित हो सकता था। अदालत के फैसले से कंपनियों जैसे अपोलो टायर्स को नुकसान से बचने में मदद मिलेगी।

  • कृषि और प्रोसेस्ड फूड: टैरिफ से झींगा, डेयरी, और प्रोसेस्ड फूड पर 28.2% तक शुल्क बढ़ सकता था। अब ये क्षेत्र सुरक्षित रहेंगे।

  • वैश्विक व्यापार युद्ध का जोखिम कम: टैरिफ लागू होने से भारत और अन्य देश जवाबी टैरिफ लगा सकते थे, जिससे वैश्विक व्यापार युद्ध शुरू हो सकता था। अदालत का फैसला इस जोखिम को कम करता है, जिससे भारत की निर्यात-आधारित अर्थव्यवस्था को स्थिरता मिलेगी।


भारत की प्रतिक्रिया और भविष्य की रणनीति

भारत की प्रतिक्रिया और भविष्य की रणनीति


भारत ने पहले संकेत दिया था कि वह अमेरिकी टैरिफ के जवाब में अपने शुल्कों में कटौती कर सकता है। अब इस फैसले के बाद भारत को अपनी व्यापार नीति को फिर से समायोजित करने की आवश्यकता हो सकती है। भारत विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों के तहत अपने टैरिफ को बनाए रख सकता है, जिससे विकासशील देशों को कुछ हद तक उच्च टैरिफ की अनुमति मिलती है।


टैरिफ की शुरुआत और कोर्ट में अपील

2 अप्रैल को कई देशों पर लगाए थे टैरिफ


ट्रंप प्रशासन ने 2 अप्रैल को कई देशों पर बेसिक 10% टैरिफ लगाया था। भारत पर 26% टैरिफ लगाया गया। चीन और यूरोपीय संघ जैसे देशों पर सबसे ज्यादा भारी टैरिफ लगाए गए थे। इसके बाद से शेयर बाजारों में हड़कंप मच गया, जिससे टैरिफ पर 9 अप्रैल को अस्थायी रूप से 90 दिन के लिए रोक दिया गया। हालांकि लिबरेशन डे टैरिफ लगे देशों पर बेसिक 10% टैरिफ लागू रहा।


कोर्ट में की अपील दायर


कोर्ट के इस फैसले के तुरंत बाद ट्रंप प्रशासन ने अपील दायर करने की घोषणा की है। व्हाइट हाउस के उप प्रमुख स्टीफन मिलर ने फैसले को न्यायिक तख्तापलट कहते हुए सोशल मीडिया पर कोर्ट की आलोचना की।


टैरिफ का भविष्य

आगे भी जारी रहेंगे ये टैरिफ, इनपर रोक नहीं



  • सेक्शन 232 टैरिफ: कोर्ट के फैसले का असर ऑटो और स्टील और एल्यूमिनियम पर लगे ट्रंप के टैरिफ पर नहीं है, जो ट्रेड एक्सपेंशन एक्ट 1962 के सेक्शन 232 के तहत लगाए गए हैं। ये टैरिफ भारत सहित सभी देशों से इन विशिष्ट वस्तुओं के आयात पर लागू रहेंगे।

  • सेक्शन 301 टैरिफ: ट्रंप के पहले कार्यकाल और बाइडेन प्रशासन के दौरान लगाए गए कुछ क्षेत्र-विशिष्ट टैरिफ, जो ट्रेड एक्ट 1974 के सेक्शन 301 के तहत हैं, भी अप्रभावित रहेंगे। गौर हो कि ऑटो और स्टील एल्यूमिनियम पर ट्रंप के पिछले कार्यकाल से ही 25% और 10% टैरिफ लगाया था, जो उनके फिर से सत्ता में आते लागू हो गया। इस बार टैरिफ की दर स्टील के साथ ऑटोमोबाइल पर भी 25% रही है।


व्यापार में संभावित वृद्धि

फैसला रहा बरकरार तो भी बढ़ेगा व्यापार


यदि यह फैसला बरकरार रहता है, तो भारत को अपने 66 बिलियन डॉलर के निर्यात (विशेष रूप से फार्मा और ऑटोमोटिव) पर कम टैरिफ का सामना करना पड़ सकता है, जिससे व्यापार बढ़ेगा। हालांकि, यदि ट्रंप प्रशासन वैकल्पिक कानूनी रास्तों (जैसे सेक्शन 232 या 301) का उपयोग करता है, तो भारत को कुछ क्षेत्रों में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।