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‘होल गवर्नमेंट अप्रोच’ सूत्र नहीं, संस्कृति है’ - अमित शाह

 


- केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री की अध्यक्षता में पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद की हुई बैठक

पुणे, 22 फरवरी (हि.स.)। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ‘होल गवर्नमेंट अप्रोच’ केवल एक सूत्र ही नहीं बल्कि एक संस्कृति बना गयी है।

महाराष्ट्र के पुणे में पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद की 27वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए अमित शाह ने

कहा कि हमने क्षेत्रीय परिषदों को सरकारी औपचारिकता से आगे बढ़कर एक रणनीतिक निर्णय लेने वाले मंच के रूप में स्थापित किया है। इस मंच के माध्यम से अनेक क्षेत्रीय परिषदों, खासकर पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठकों में अनेक महत्वपूर्ण और युग परिवर्तनकारी निर्णय लिए गए हैं।

गृह मंत्री ने कहा कि परिषद की बैठकों में अभिनव समाधान को साझा किया गया है और अनसुलझे मामलों को एकीकृत तरीके से हल करने का भी प्रयास किया गया है। उन्होंने कहा कि पश्चिमी क्षेत्र देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया के साथ देश का आधे से ज्यादा व्यापार पश्चिमी क्षेत्र से ही होता है। उत्तरी और मध्य क्षेत्र भी दुनिया के साथ व्यापार के लिए पश्चिमी क्षेत्र पर निर्भर हैं। शाह ने कहा कि पश्चिमी क्षेत्र के बंदरगाह, आधारभूत ढांचे और शहरी विकास जैसी सुविधाओं का दुनिया के साथ व्यापार के लिए न केवल पश्चिमी क्षेत्र के राज्य बल्कि कश्मीर, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्य भी उपयोग करते हैं। उन्होंने कहा कि पश्चिमि क्षेत्र की देश के जीडीपी में 25 प्रतिशत हिस्सेदारी है। कई ऐसे उद्योग हैं जिनका 80 से 90 प्रतिशत काम इसी क्षेत्र में होता है, इसलिए पश्चिमी क्षेत्र पूरे देश में संतुलित और समग्र विकास, दोनों के लिए मानक स्थापित करने वाला क्षेत्र है।

गृह मंत्री ने बताया कि वर्ष 2014 में नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद हम क्षेत्रीय परिषदों को केवल औपचारिक संस्थाओं की बजाय परिवर्तन लाने वाली संस्थाओं के रूप में स्थापित करने में सफल हुए हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2004 से 2014 तक क्षेत्रीय परिषदों की केवल 25 बैठकें हुईं जबकि 2014 से फरवरी 2025 तक कोविड महामारी के बावजूद कुल 61 बैठकें हुईं, जो इससे पहले के 10 वर्ष के मुकाबले 140 प्रतिशत अधिक है। वर्ष 2004 से 2014 तक क्षेत्रीय परिषदों की बैठकों में 469 विषयों पर चर्चा हुई जबकि 2014 से फरवरी 2025 तक 1541 मुद्दों पर विचार विमर्श हुआ, जो इससे पहले के 10 वर्ष की तुलना में 170 प्रतिशत अधिक है। गृह मंत्री ने कहा कि 2004 से 2014 के बीच केवल 448 मुद्दों का निराकरण किया गया जबकि 2014 से फरवरी 2025 के बीच 1280 मामलों का निपटारा किया गया।

अमित शाह ने कहा कि हम क्षेत्रीय परिषदों की बैठकों में शामिल विषयों में शत-प्रतिशत लक्ष्य हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। इसी दिशा में देशभर के प्रत्येक गांव में हर पांच किलोमीटर पर बैंक शाखाओं/पोस्टल बैंकिंग की सुविधा उपलब्ध कराने का लक्ष्य लगभग हासिल कर लिया गया है और आज की बैठक में देश के हर गांव के तीन किलोमीटर के दायरे में बैंक शाखाओं/पोस्टल बैंकिंग की सुविधा उपलब्ध कराने का लक्ष्य तय किया गया है। उन्होंने कहा कि सभी राज्यों के सहयोग से इस क्षेत्र में हम काफी आगे बढ़े हैं और यह हम सबके लिए उपलब्धि और संतुष्टि का विषय है। उन्होंने दलहन के आयात पर चिंता व्यक्त करते हुए दलहन का उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पहले यह कहा जाता था कि दलहन का उत्पादन करने वाले किसानों को उसका उचित मूल्य नहीं मिलता है लेकिन सरकार ने अब एक ऐसा मोबाइल एप तैयार किया है जिसके माध्यम से भारत सरकार किसानों के दलहन उत्पादन का शत-प्रतिशत न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद लेती है। उन्होंने पश्चिमी क्षेत्र के राज्यों से इस एप के प्रचार और इस पर किसानों के पंजीकरण पर बल दिया ताकि किसान अपने दलहन उत्पादन का उचित मूल्य प्राप्त कर सकें और देश दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर बन सके। ‘सहकार से समृद्धि’ के संकल्प का उल्लेख करते हुए अमित शाह ने कहा कि देश में शत प्रतिशत रोजगार प्रदान करने की दिशा में आगे बढ़ने के लिए सहकारिता ही एकमात्र विकल्प है। उन्होंने कहा कि इसके लिए प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पीएसीएस) को सुदृढ़ करने, उन्हें बहुआयामी बनाने के साथ ही ‘सहकार से समृद्धि’ की समग्र अवधारणा को पूरा करने के लिए की गई 56 से अधिक पहल को जमीनी स्तर तक पहुंचाना बहुत जरूरी है। इसके लिए पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद में शामिल राज्यों– महाराष्ट्र, गुजरात और गोवा को जमीनी स्तर पर सहकारिता का एक मजबूत आधारभूत ढांचा बनाने के लिए हरसंभव कदम उठाना चाहिए।

पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद की 27वीं बैठक में कुल 18 मुद्दों पर चर्चा की गई। बैठक में विशेष रूप से सदस्य राज्यों और पूरे देश से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर गहन विचार विमर्श किया गया। इनमें भूमि हस्तानांतरण, खनन, महिलाओं और बच्चों के खिलाफ दुष्कर्म के मामलों की त्वरित जांच, बलात्कार और पोस्को अधिनियम के मामलों के शीघ्र निपटान के लिए फास्ट ट्रैक विशेष अदालतों (FTSC) योजना का कार्यान्वयन, आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली का कार्यान्वयन (ERSS-112), प्रत्येक गांवों में बैंक शाखाओं/पोस्टल बैंकिंग सुविधा, रेलवे परियोजना से संबंधित मुद्दे और खाद्य सुरक्षा मापदंड आदि शामिल हैं। इनके अलावा, राष्ट्रीय महत्व के 6 मुद्दों पर भी चर्चा हुई, जिनमें - शहरी मास्टर प्लान एवं किफायती आवास, विद्युत संचालन/आपूर्ति, पोषण अभियान के माध्यम से बच्चों में कुपोषण को दूर करना, स्कूली बच्चों की ड्रॉप आउट दर कम करना, आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना में सरकारी अस्पतालों की भागीदारी, प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) को मजबूत करना जैसे मुद्दे शामिल हैं। बैठक में सदस्य राज्यों/संघ राज्य क्षेत्र द्वारा अपनाई गई सर्वश्रेष्ठ कार्य पद्धतियों को भी साझा किया गया।

इस बैठक में महाराष्ट्र, गोवा और गुजरात के मुख्यमंत्री, दादर और नागर हवेली तथा दमन एवं दीव के प्रशासक और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री सहित अनेक मंत्रियों ने भाग लिया। इस बैठक में केन्द्रीय गृह सचिव, अंतर-राज्य परिषद सचिवालय के सचिव, केन्द्रीय सहकारिता सचिव, पश्चिमी क्षेत्र के राज्यों के मुख्य सचिव और राज्यों तथा केन्द्रीय मंत्रालयों एवं विभागों के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए।------------------------

हिन्दुस्थान समाचार / मनीष कुलकर्णी