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अंतरिक्ष में भारतीय वैज्ञानिक शुभांशु शुक्ला का महत्वपूर्ण मिशन

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर चल रहे एक्सिओम मिशन 4 में भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने अनुसंधान और तकनीकी प्रयोगों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने जीरो ग्रेविटी में काम करते हुए मांसपेशियों की कमजोरी पर अध्ययन किया है और स्पेस माइक्रो एल्गी प्रयोग के तहत एक कल्चर बैग को पुनः सक्रिय किया है। इसके अलावा, मिशन के दौरान स्वास्थ्य निगरानी के लिए AI आधारित सिस्टम विकसित करने की दिशा में भी प्रयास किए जा रहे हैं। जानें इस मिशन के बारे में और अधिक जानकारी।
 

अंतरिक्ष में अनुसंधान की नई ऊंचाइयाँ

शुभांशु शुक्ला का अंतरिक्ष सफर: अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर चल रहे एक्सिओम मिशन 4 ने अपने आधे पड़ाव को पार कर लिया है, जिसके चलते अनुसंधान और तकनीकी प्रयोगों में तेजी आई है। इस मिशन के पायलट, भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला, जिन्हें 'शक्स' के नाम से जाना जाता है, ने जीरो ग्रेविटी में काम करते हुए अपनी कुछ नई तस्वीरें साझा की हैं। इन तस्वीरों में वह अंतरिक्ष जीवन का आनंद लेते हुए नजर आ रहे हैं और साथ ही भारत द्वारा भेजे गए वैज्ञानिक शोधों पर भी सक्रिय रूप से कार्य कर रहे हैं।


मांसपेशियों की कमजोरी पर अनुसंधान

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, शुक्ला एक महत्वपूर्ण अनुसंधान का हिस्सा हैं, जिसमें सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में मांसपेशियों की कमजोरी के तेजी से बढ़ने के कारणों को समझने का प्रयास किया जा रहा है। वह मायोजेनेसिस अध्ययन के तहत एडवांस माइक्रोस्कोपी कर रहे हैं और कोशिकीय नमूने एकत्रित कर रहे हैं। इस अध्ययन से प्राप्त जानकारी भविष्य में लंबी अंतरिक्ष यात्राओं, जैसे कि मंगल मिशन, के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों की सेहत की रक्षा में सहायक सिद्ध होगी।


स्पेस माइक्रो एल्गी प्रयोग

कल्चर बैग का पुनः सक्रियण: शुभांशु ने हाल ही में स्पेस माइक्रो एल्गी प्रयोग के तहत एक कल्चर बैग को फिर से सक्रिय किया है। इस प्रयोग में माइक्रो एल्गी को खाद्य, ऑक्सीजन और बायोफ्यूल के स्रोत के रूप में उपयोग करने की संभावनाओं का अध्ययन किया जा रहा है। यदि यह प्रयोग सफल होता है, तो यह चंद्रमा या मंगल पर मानव बेस के लिए जीवन-समर्थन प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन सकता है।


AI आधारित हेल्थ मॉनिटरिंग सिस्टम

स्वास्थ्य की निगरानी: एक्सिओम मिशन ने यह भी बताया कि मिशन के एक सदस्य पर अल्ट्रासाउंड स्कैन किया गया है, जो अंतरिक्ष में दिल और संतुलन प्रणाली पर प्रभावों को समझने का हिस्सा है। इस शोध से अंतरिक्ष में रियल-टाइम, AI आधारित हेल्थ मॉनिटरिंग सिस्टम विकसित करने में मदद मिलेगी, जिसका लाभ पृथ्वी पर चिकित्सा क्षेत्र को भी मिल सकता है। जैसे-जैसे मिशन आगे बढ़ रहा है, शुभांशु और उनकी टीम अंतरिक्ष में जीवन की संभावनाओं को बेहतर समझने और भविष्य के गहरे अंतरिक्ष अभियानों के लिए रास्ता आसान बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं।