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अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप पर ईडी की बड़ी कार्रवाई, 3,084 करोड़ की संपत्तियां कुर्क

प्रवर्तन निदेशालय ने अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप पर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में 3,084 करोड़ रुपये की संपत्तियां कुर्क की हैं। इस कार्रवाई में मुंबई, नोएडा, और अन्य शहरों की संपत्तियां शामिल हैं। ईडी ने बताया कि यह कदम सार्वजनिक धन के दुरुपयोग को रोकने के लिए उठाया गया है। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और ईडी की जांच के पीछे के कारण।
 

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नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप के खिलाफ मुंबई से लेकर दिल्ली-नोएडा तक एक महत्वपूर्ण कार्रवाई की है। ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग जांच के तहत 3,084 करोड़ रुपये की संपत्तियां जब्त की हैं। इनमें मुंबई के पाली हिल का बंगला, नई दिल्ली का रिलायंस सेंटर और देश के विभिन्न शहरों में स्थित प्रॉपर्टीज शामिल हैं। यह कार्रवाई धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) की धारा 5(1) के अंतर्गत की गई है.


जांच का विवरण

ईडी ने जानकारी दी है कि यह कुर्की रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL) और रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड (RCFL) के माध्यम से जुटाए गए सार्वजनिक धन के कथित दुरुपयोग के मामले में की गई है। जांच में यह पाया गया है कि इन कंपनियों द्वारा जुटाए गए फंड को अनिल अंबानी ग्रुप की संस्थाओं से जुड़े पक्षों को ट्रांसफर किया गया था। इन दोनों कंपनियों पर यस बैंक के माध्यम से किए गए निवेश में भी गड़बड़ियों के आरोप हैं.




मामले की पृष्ठभूमि

क्या है पूरा मामला?


ईडी की रिपोर्ट के अनुसार, 2017 से 2019 के बीच यस बैंक ने RHFL में 2,965 करोड़ और RCFL में 2,045 करोड़ रुपये का निवेश किया था। दिसंबर 2019 तक ये निवेश नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स में बदल गए, जिससे लगभग 3,337 करोड़ रुपये का बकाया रह गया। जांच में यह भी सामने आया कि इन पैसों को बिल डिस्काउंटिंग और म्यूचुअल फंड ट्रांसफर के जरिए ग्रुप की अन्य कंपनियों में भेजा गया था.


कुर्क की गई संपत्तियां

कहां-कहां की संपत्तियां की गई जब्त?


इस कार्रवाई में 40 से अधिक संपत्तियां जब्त की गई हैं, जिनमें मुंबई, नोएडा, पुणे, चेन्नई, हैदराबाद और पूर्वी गोदावरी की संपत्तियां शामिल हैं। ईडी ने कहा है कि उसने वैध लेनदेन के नाम पर किए जा रहे धन के दुरुपयोग को रोकने के लिए यह कदम उठाया है। जांच एजेंसी ने यह भी बताया कि वह इन संपत्तियों की कुर्की सुनिश्चित कर आम निवेशकों के हितों की रक्षा करना चाहती है.


सीएफओ की गिरफ्तारी

सीएफओ को क्यों किया गया था गिरफ्तार?


ईडी की नजर अब रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड (RCom) पर भी है। जांच में खुलासा हुआ है कि इस कंपनी के जरिए 13,600 करोड़ रुपये की ऋण धोखाधड़ी हुई, जिसमें से 12,600 करोड़ रुपये संदिग्ध पक्षों को ट्रांसफर किए गए। इसके बाद ईडी ने रिलायंस ग्रुप के सीएफओ अशोक कुमार पाल को गिरफ्तार किया था। एजेंसी ने अनिल अंबानी से भी अगस्त में पूछताछ की थी। जुलाई में ईडी ने समूह से जुड़ी 50 कंपनियों और 25 व्यक्तियों के ठिकानों पर छापेमारी की थी.


जांच का उद्देश्य

ईडी ने बताई क्या है जांच की वजह?


ईडी ने कहा है कि वह इस पूरे नेटवर्क की जांच कर रही है ताकि मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए जुटाए गए धन की वसूली की जा सके। एजेंसी का दावा है कि इस कार्रवाई से जनता के निवेश की सुरक्षा सुनिश्चित होगी और वित्तीय गड़बड़ियों पर रोक लगेगी.