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अनुदीप दुरिशेट्टी: छोटे शहर से IAS बनने की प्रेरणादायक यात्रा

अनुदीप दुरिशेट्टी की कहानी एक प्रेरणादायक यात्रा है, जिसमें उन्होंने छोटे शहर से निकलकर IAS बनने का सपना पूरा किया। गूगल में नौकरी करने के बावजूद, उन्होंने यूपीएससी परीक्षा में सफलता पाने के लिए कठिन मेहनत की। उनकी कहानी यह दर्शाती है कि असली सफलता निरंतर प्रयास और उद्देश्य के साथ आगे बढ़ने में है। जानें कैसे उन्होंने ऑल इंडिया रैंक 1 हासिल की और अपने सपने को साकार किया।
 

अनुदीप दुरिशेट्टी की प्रेरणादायक कहानी


तेलंगाना के एक छोटे शहर से निकलकर देश की सबसे कठिन परीक्षा में शीर्ष स्थान प्राप्त करना कोई साधारण बात नहीं है। अनुदीप दुरिशेट्टी की कहानी इसी असाधारण यात्रा का उदाहरण है। गूगल में लाखों रुपये की सैलरी वाली नौकरी मिलने के बावजूद, उनके मन में देश सेवा का सपना हमेशा जीवित रहा। यही सपना उन्हें बार-बार उठने और आगे बढ़ने की प्रेरणा देता रहा।


छोटे शहर से बड़े सपने की ओर

अनुदीप का बचपन साधारण परिवेश में बीता। पढ़ाई में हमेशा अव्‍वल रहने वाले अनुदीप ने इंजीनियरिंग के लिए एक प्रतिष्ठित संस्थान में दाखिला लिया। पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्हें गूगल जैसी प्रसिद्ध कंपनी में नौकरी मिली, जिसे अधिकांश लोग जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि मानते हैं।


IAS बनने का सपना

गूगल में काम करते हुए भी अनुदीप के मन में एक पुराना सपना था - IAS अधिकारी बनने का। इसी सपने के साथ उन्होंने 2012 में पहली बार यूपीएससी परीक्षा दी, लेकिन सफलता नहीं मिली। यह असफलता उनके लिए अंत नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत बन गई।


नौकरी के साथ कठिन तैयारी

अनुदीप ने नौकरी छोड़ने के बजाय गूगल में काम करते हुए ही अपनी तैयारी जारी रखी। दिन में ऑफिस का दबाव और रात में पढ़ाई - यही उनकी दिनचर्या बन गई। सीमित समय में पढ़ाई के लिए उन्होंने अपनी रणनीति बनाई और अनुशासन को अपना सबसे बड़ा हथियार बनाया।


IRS से IAS तक का सफर

2013 में उनकी मेहनत रंग लाई और वे यूपीएससी में सफल होकर भारतीय राजस्व सेवा में चयनित हुए। यह एक बड़ी उपलब्धि थी, लेकिन अनुदीप का लक्ष्य अभी पूरा नहीं हुआ था। उन्होंने IRS अधिकारी के रूप में काम करते हुए एक बार फिर IAS की तैयारी शुरू की।


ऑल इंडिया रैंक 1 की उपलब्धि

2017 में अनुदीप ने फिर से परीक्षा दी और इस बार परिणाम ने इतिहास रच दिया। उन्होंने ऑल इंडिया रैंक 1 हासिल की। बिना दिखावे और शोर के, केवल आत्मविश्वास और निरंतर मेहनत के बल पर। उनकी कहानी यह सिखाती है कि असली सफलता आराम छोड़ने में नहीं, बल्कि उद्देश्य के साथ आगे बढ़ने में है।