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अनुपमा गुलाटी मर्डर केस: हाई कोर्ट ने राजेश गुलाटी की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा

अनुपमा गुलाटी मर्डर केस में नैनीताल हाई कोर्ट ने राजेश गुलाटी की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा है। इस मामले ने देश को झकझोर दिया था, जिसमें आरोपी ने अपनी पत्नी की नृशंस हत्या कर शव के 72 टुकड़े किए थे। अदालत ने कहा कि इस तरह की दरिंदगी के लिए कोई रियायत नहीं दी जा सकती। जानें इस जघन्य अपराध की पूरी कहानी और अदालत के फैसले के पीछे की वजहें।
 

अनुपमा गुलाटी मर्डर केस का नया मोड़


अनुपमा गुलाटी मर्डर केस: देश को हिलाकर रख देने वाले इस मामले में न्याय की एक और महत्वपूर्ण पुष्टि हुई है। सॉफ्टवेयर इंजीनियर राजेश गुलाटी, जिसने अपनी पत्नी की बेरहमी से हत्या कर शव के 72 टुकड़े किए, को नैनीताल हाई कोर्ट ने उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा है। अदालत ने स्पष्ट किया कि इस प्रकार की क्रूरता के लिए किसी भी प्रकार की छूट नहीं दी जा सकती। आरोपी ने निचली अदालत के निर्णय को चुनौती दी थी, जिसे हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया।


यह मामला अपनी बर्बरता के कारण पूरे देश में चर्चा का विषय बना रहा और इसे श्रद्धा वॉकर जैसे बाद के मामलों से भी जोड़ा गया। अदालत ने माना कि आरोपी का कृत्य न केवल जघन्य है, बल्कि यह समाज की अंतरात्मा को भी झकझोरने वाला है।


7 साल का प्रेम संबंध और विवाह

राजेश गुलाटी और अनुपमा की प्रेम कहानी 1992 में शुरू हुई थी। लगभग सात साल के रिश्ते के बाद, उन्होंने 10 फरवरी 1999 को विवाह किया। वर्ष 2000 में यह दंपती अमेरिका चला गया। हालांकि, घरेलू विवादों के कारण अनुपमा 2003 में भारत लौट आईं। दो साल बाद, राजेश ने उन्हें मनाकर फिर से अमेरिका बुलाया, जहां उनके जुड़वा बच्चे हुए। लेकिन 2008 में अमेरिका से देहरादून लौटने के बाद उनके रिश्ते में तनाव बढ़ गया।


17 अक्टूबर 2010 की भयावह घटना

जांच में पता चला कि देहरादून आने के बाद उनके बीच झगड़े बढ़ते गए। घरेलू हिंसा की शिकायतें भी हुईं और अदालत ने राजेश को हर महीने 20 हजार रुपये भरण-पोषण देने का आदेश दिया, जिसे उसने एक महीने बाद ही बंद कर दिया। 17 अक्टूबर 2010 को इसी विवाद के चलते राजेश ने अनुपमा को जोरदार थप्पड़ मारा। सिर दीवार से टकराने के बाद वह बेहोश हो गईं, जिसके बाद राजेश ने उनका गला घोंट दिया।


शव के 72 टुकड़े करने की भयावह योजना

हत्या के बाद, आरोपी ने सबूत मिटाने के लिए एक भयानक योजना बनाई। उसने बाजार से इलेक्ट्रिक आरी खरीदी और शव के 72 टुकड़े किए। बदबू छिपाने के लिए एक बड़ा डीप फ्रीजर खरीदा और टुकड़ों को प्लास्टिक बैग में भरकर उसमें रखा। वह रोज कुछ हिस्से मसूरी डायवर्जन के पास नाले में फेंकता रहा। यह प्रक्रिया महीनों तक चलती रही।


भाई के संदेह से खुला राज

अनुपमा के लापता होने पर राजेश बच्चों को बताता रहा कि उनकी मां नानी के घर गई हैं। वह लगभग दो महीने तक ईमेल के जरिए ससुराल वालों को भी गुमराह करता रहा। अंततः अनुपमा के भाई को शक हुआ। उसने एक दोस्त को 'पासपोर्ट कर्मचारी' बनाकर घर भेजा। विरोधाभासी जवाबों से सच्चाई सामने आई और 12 दिसंबर 2010 को पुलिस ने जब डीप फ्रीजर खोला, तो अधिकारी दंग रह गए।


कोर्ट का सख्त संदेश

2017 में देहरादून की निचली अदालत ने राजेश को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद और 15 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। अब हाई कोर्ट ने भी इस निर्णय को सही ठहराया। अदालत ने कहा कि ऐसे क्रूर अपराधियों के लिए जेल ही उचित स्थान है और समाज को यह स्पष्ट संदेश जाना चाहिए कि इस प्रकार की दरिंदगी की कोई माफी नहीं है।