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अफगान विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी की भारत यात्रा का महत्व

तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी की भारत यात्रा महत्वपूर्ण कूटनीतिक पहल है। यह यात्रा न केवल औपचारिक मुलाकातों तक सीमित है, बल्कि भारत के रणनीतिक हितों से भी जुड़ी हुई है। पाकिस्तान और चीन के प्रभाव को संतुलित करने के लिए भारत अफगानिस्तान के साथ सीधी बातचीत को मजबूत करना चाहता है। क्या यह यात्रा भारत-अफगान रिश्तों में नई शुरुआत का संकेत देगी? जानें इस यात्रा के पीछे की रणनीति और संभावित परिणाम।
 

आमिर खान मुत्ताकी की भारत यात्रा

आमिर खान मुत्ताकी की भारत यात्रा: तालिबान के 2021 में अफगानिस्तान में सत्ता में आने के बाद, विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी पहली बार आधिकारिक रूप से भारत का दौरा कर रहे हैं। उनकी इस यात्रा को लेकर विशेष चर्चा हो रही है, क्योंकि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रतिबंधों के कारण उन्हें अंतरराष्ट्रीय यात्रा के लिए विशेष अनुमति की आवश्यकता होती है। भारत के अनुरोध पर, UNSC ने उन्हें इस बार छूट दी है, जिससे वह नई दिल्ली में उच्चस्तरीय बैठकों में भाग ले सकेंगे।


मुत्ताकी पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के रेजोल्यूशन 1988 के तहत यात्रा प्रतिबंध लागू है। इस रेजीम के अंतर्गत कई तालिबान नेताओं पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध हैं। हालांकि, 30 सितंबर को UNSC की समिति ने भारत के अनुरोध पर विशेष छूट दी। सूत्रों के अनुसार, यह अनुमति महत्वपूर्ण है क्योंकि हाल ही में UNSC ने मुत्ताकी की कुछ यात्राओं को मंजूरी नहीं दी थी। इस बार उनका भारत आना भारत की सक्रिय कूटनीति का परिणाम माना जा रहा है।


भारत के लिए रणनीतिक महत्व

भारत के लिए रणनीतिक महत्व: यह यात्रा केवल औपचारिक मुलाकातों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे भारत के व्यापक रणनीतिक हितों से जोड़ा जा रहा है। पाकिस्तान और चीन लगातार अफगानिस्तान में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। पिछले मई में, मुत्ताकी ने बीजिंग में चीन और पाकिस्तान के मंत्रियों के साथ मिलकर CPEC को अफगानिस्तान तक विस्तारित करने पर सहमति जताई थी। भारत पहले ही इस परियोजना का विरोध कर चुका है, क्योंकि यह पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरती है। ऐसे में, मुत्ताकी की दिल्ली यात्रा भारत के लिए अपने हितों को साधने का एक अवसर हो सकती है।


पाकिस्तान-चीन समीकरण पर नजर

पाकिस्तान-चीन समीकरण पर नजर: विश्लेषकों का मानना है कि भारत इस यात्रा के माध्यम से अफगानिस्तान के साथ सीधी बातचीत का रास्ता मजबूत करना चाहता है, ताकि पाकिस्तान और चीन को वहां बिना चुनौती के प्रभाव बढ़ाने का अवसर न मिले। अफगानिस्तान की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है और उसे निवेश और सहायता की सख्त आवश्यकता है। भारत पहले भी अफगान जनता के लिए मानवीय सहायता भेजता रहा है। अब मुत्ताकी की यह यात्रा दर्शाती है कि भारत तालिबान सरकार के साथ भी एक सीमित स्तर पर संवाद स्थापित करना चाहता है।


क्या है आगे का रास्ता

क्या है आगे का रास्ता: मुत्ताकी की भारत यात्रा के दौरान सुरक्षा, व्यापार और क्षेत्रीय स्थिरता जैसे मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है। हालांकि, भारत ने अभी तक तालिबान शासन को औपचारिक मान्यता नहीं दी है। इसलिए, यह मुलाकात औपचारिक मान्यता का संकेत नहीं है, बल्कि रणनीतिक संवाद की दिशा में एक कदम है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह यात्रा भारत-अफगान रिश्तों की नई शुरुआत करती है या यह केवल पाकिस्तान और चीन के दबाव को संतुलित करने की कोशिश साबित होती है।