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अफगानिस्तान के विदेश मंत्री की नई दिल्ली यात्रा: द्विपक्षीय संबंधों में नई पहल

अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री मौलवी अमीर खान मुत्तकी का नई दिल्ली दौरा, तालिबान के सत्ता में आने के बाद से पहला मंत्री-स्तरीय दौरा है। यह यात्रा दोनों देशों के बीच संवाद की नई पहल के रूप में महत्वपूर्ण मानी जा रही है। इस दौरान, अफगानिस्तान में मानवीय सहायता, व्यापारिक सुविधाएं और आतंकवाद जैसे मुद्दों पर चर्चा की संभावना है। जानें इस दौरे के पीछे के कारण और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
 

मौलवी अमीर खान मुत्तकी का ऐतिहासिक दौरा

अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री मौलवी अमीर खान मुत्तकी ने गुरुवार को नई दिल्ली का दौरा किया। यह तालिबान के सत्ता में आने के बाद से काबुल से किसी मंत्री का पहला दौरा है। मुत्तकी की यात्रा लगभग एक सप्ताह तक चलेगी और इसे दोनों देशों के बीच संवाद की नई शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है।


विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने आधिकारिक 'एक्स' पोस्ट में कहा, "अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मौलवी अमीर खान मुत्तकी का नई दिल्ली पहुंचने पर गर्मजोशी से स्वागत किया गया है। हम उनके साथ द्विपक्षीय संबंधों और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा करने के लिए उत्सुक हैं।"


यह दौरा कई दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह अफगानिस्तान के नए प्रशासन और भारत के बीच पहले सीधे संपर्कों में से एक है।


मुत्तकी को पहले सितंबर में भारत आने का कार्यक्रम था, लेकिन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के कारण यह दौरा रद्द हो गया था। हालांकि, 30 सितंबर को यूएनएससी की समिति ने उन्हें अस्थायी छूट दी और 9 से 16 अक्टूबर के बीच भारत आने की अनुमति दी। इस प्रकार उनका यह दौरा संभव हो सका है।


कुछ रिपोर्टों के अनुसार, यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब भारत, पाकिस्तान, चीन और रूस अफगानिस्तान के बगराम एयरबेस से अमेरिकी सैनिकों की वापसी को लेकर असहमति जता रहे हैं।


मुत्तकी का यह दौरा इस दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है कि इससे दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार की संभावनाएं बढ़ सकती हैं।


विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, मुत्तकी की भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात होने की संभावना है। इस बैठक में अफगानिस्तान में मानवीय सहायता, वीजा व्यवस्था, व्यापारिक सुविधाएं और अफगान नागरिकों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की जा सकती है। इसके अलावा, ड्राई फ्रूट निर्यात, चाबहार रूट और पोर्ट कनेक्टिविटी, क्षेत्रीय सुरक्षा और आतंकवाद, विशेषकर पाकिस्तान आधारित आतंकवादी संगठनों पर रोक लगाने के मुद्दे भी उठाए जा सकते हैं।


अफगान सरकार की अंतरराष्ट्रीय मान्यता पर भी बातचीत की संभावना है, जो भविष्य में दोनों देशों के रिश्तों के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। हालांकि, अभी तक अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय से इस दौरे के एजेंडे पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।