अफगानिस्तान में विदेशी सैन्य तैनाती पर रूस, चीन और भारत का विरोध
राजनयिक वार्ता का महत्व
राजनयिक वार्ता: अफगानिस्तान में विदेशी सैन्य ढांचे की तैनाती के खिलाफ मंगलवार को रूस, चीन और भारत सहित अन्य देशों ने अपनी चिंताओं का इजहार किया। यह विरोध उस समय सामने आया जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप तालिबान से बगराम एयरबेस को अमेरिका को सौंपने का दबाव बना रहे थे। यह एयरबेस सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है और इसके हस्तांतरण को लेकर क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर चिंताएं व्यक्त की गई हैं।
मॉस्को फॉर्मेट वार्ता में चर्चा
मॉस्को फॉर्मेट वार्ता में चर्चा
मॉस्को फॉर्मेट वार्ता के नए सत्र में शामिल देशों ने अफगानिस्तान में स्थिरता और विकास के उपायों पर गहन विचार-विमर्श किया। उन्होंने अफगानिस्तान और उसके पड़ोसी देशों में विदेशी सैन्य ढांचे की तैनाती को अस्वीकार्य बताया। उनका मानना है कि ऐसी गतिविधियाँ क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए हानिकारक हैं और इससे सुरक्षा की स्थिति प्रभावित हो सकती है।
तालिबान के विदेश मंत्री की भागीदारी
तालिबान के विदेश मंत्री की पहली भागीदारी
इस वार्ता में तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने पहली बार भाग लिया। कुछ हफ्ते पहले, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा था कि तालिबान को बगराम एयरबेस सौंप देना चाहिए, जो अमेरिका द्वारा स्थापित किया गया था। इस वार्ता में शामिल देशों ने आतंकवाद के खिलाफ सहयोग को मजबूत करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
आतंकवाद रोधी कदमों पर बल
आतंकवाद रोधी कदमों पर बल
बैठक में एक संयुक्त बयान जारी किया गया जिसमें कहा गया कि अफगानिस्तान को आतंकवाद से निपटने और इसे समाप्त करने में सहायता दी जानी चाहिए, ताकि काबूल का क्षेत्र पड़ोसी देशों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए खतरा न बने। इसमें यह भी उल्लेख किया गया कि आतंकवाद अफगानिस्तान, क्षेत्र और वैश्विक स्तर पर गंभीर सुरक्षा खतरा उत्पन्न करता है।
भाग लेने वाले देश
भाग लेने वाले देश
इस वार्ता में भारत, रूस, और चीन के अलावा ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान ने भी भाग लिया। इन देशों ने अफगानिस्तान और उसके पड़ोसी राज्यों के बीच आर्थिक सहयोग और व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने पर जोर दिया।
भारतीय दूतावास का बयान
भारतीय दूतावास का बयान
मॉस्को में भारतीय दूतावास के अनुसार, राजदूत विनय कुमार के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने अफगानिस्तान में स्वतंत्रता, स्थिरता और शांति बनाए रखने के महत्व का समर्थन किया। दूतावास ने सोशल मीडिया पर यह भी कहा कि भारत की नीति स्पष्ट है: एक सुरक्षित, शांतिपूर्ण और स्थिर अफगानिस्तान न केवल वहां के नागरिकों के हित में है बल्कि पूरे क्षेत्र की लचीलापन और वैश्विक सुरक्षा के लिए भी आवश्यक है।