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अमित शाह का बयान: कुछ दल घुसपैठियों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में कहा कि कुछ राजनीतिक दल मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) में बाधा डालकर घुसपैठियों को बचाने का प्रयास कर रहे हैं। ममता बनर्जी ने इस प्रक्रिया को लेकर गंभीर चिंता जताई है और चुनाव आयोग से हस्तक्षेप की मांग की है। जानें इस विवाद के पीछे की पूरी कहानी और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं।
 

मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण पर विवाद


Amit Shah: देश के विभिन्न राज्यों, विशेषकर पश्चिम बंगाल में, मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर विपक्षी दलों और कुछ राज्य सरकारों द्वारा विरोध किया जा रहा है। केरल सरकार ने इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जबकि तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल की सरकारें भी इसके खिलाफ याचिका दायर कर चुकी हैं।


पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एसआईआर प्रक्रिया को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है और चुनाव आयोग से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने इसे दबाव, अराजकता और खतरनाक बताया।


इस पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि कुछ राजनीतिक दल वोटर लिस्ट की एसआईआर प्रक्रिया में बाधा डालकर घुसपैठियों को बचाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में घुसपैठ को रोकना न केवल सुरक्षा के लिए आवश्यक है, बल्कि लोकतांत्रिक प्रणाली को भी सुरक्षित रखने के लिए जरूरी है।


अमित शाह ने कहा कि दुर्भाग्यवश, कुछ दल इन घुसपैठियों की रक्षा करने में लगे हुए हैं और वे चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची के शुद्धिकरण के प्रयासों का विरोध कर रहे हैं। ममता बनर्जी ने मुख्य चुनाव आयुक्त को एक पत्र में लिखा कि एसआईआर प्रक्रिया खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है और इसे बिना योजना के चलाया जा रहा है।


सीएम ने आरोप लगाया कि अधिकारियों और नागरिकों पर यह प्रक्रिया थोपने से स्थिति बिगड़ गई है। उन्होंने चुनाव आयोग पर भी आरोप लगाया कि वह बिना उचित तैयारी के एसआईआर लागू कर रहा है, जिससे अधिकारियों और नागरिकों के बीच भ्रम उत्पन्न हो रहा है।


भाजपा ने ममता के आरोपों को खारिज किया


भारतीय जनता पार्टी ने ममता बनर्जी के आरोपों को अस्वीकार कर दिया है और उन पर कानूनी प्रक्रिया को बाधित करने का आरोप लगाया है। केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने कहा कि कोई भी धमकी या नाटक एसआईआर को रोक नहीं सकता। अगर मुख्यमंत्री को किसी कानूनी प्रक्रिया में परेशानी हो रही है, तो उन्हें अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।