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अमेरिका का ईरान पर हमला: इजरायल-ईरान युद्ध में नई भूमिका

ईरान और इजरायल के बीच चल रहे संघर्ष में अमेरिका ने अपनी भूमिका निभाते हुए ईरान के तीन प्रमुख परमाणु स्थलों पर हमला किया है। इस हमले से ईरान के परमाणु कार्यक्रम को गंभीर नुकसान पहुंचा है। जानें कि ये परमाणु स्थल ईरान के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं और अमेरिका का इस संघर्ष में क्या योगदान है।
 

ईरान-इजरायल संघर्ष में अमेरिका की एंट्री

ईरान-इजरायल युद्ध: ईरान और इजरायल के बीच चल रहे संघर्ष में अमेरिका ने अपनी सक्रिय भूमिका निभाई है। कई दिनों से यह सवाल उठ रहा था कि क्या अमेरिका इस युद्ध में शामिल होगा, और अब इसका उत्तर मिल चुका है। अमेरिका ने ईरान में बड़े पैमाने पर तबाही मचाई है। पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने इस हमले की घोषणा की है। अमेरिकी सेना ने शुक्रवार रात को ईरान के तीन प्रमुख परमाणु स्थलों पर हमला किया, जिससे ईरान के परमाणु कार्यक्रम को गंभीर नुकसान पहुंचा है।


तीन प्रमुख परमाणु स्थलों पर हमला

ईरान और इजरायल के बीच इस युद्ध में ट्रंप ने पहले से ही सक्रियता दिखाई थी। उन्होंने ईरान को पहले ही आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया था। अब ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया पर हमले की जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि ईरान के परमाणु स्थलों पर हमला किया गया है और सभी अमेरिकी विमान ईरान के हवाई क्षेत्र से बाहर हैं। ट्रंप ने बताया कि एक साथ तीन परमाणु स्थलों पर हवाई हमले किए गए हैं। उन्होंने कहा कि ईरान के मुख्य परमाणु स्थल पर भारी बम गिराए गए हैं। आइए जानते हैं कि ये तीन परमाणु स्थल ईरान के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं।


1. फोर्डो ईंधन संवर्धन संयंत्र

फोर्डो परमाणु संयंत्र ईरान के सबसे महत्वपूर्ण स्थलों में से एक है, जो तेहरान से 125 मील दूर क़ोम शहर के पास स्थित है। यह एक पहाड़ के नीचे लगभग 300 फीट की गहराई पर बना है और इसे 'माउंट डूम' कहा जाता है, क्योंकि इसे नष्ट करना अत्यंत कठिन माना जाता है। फोर्डो में अत्यधिक संवर्धित यूरेनियम का उत्पादन होता है, जो परमाणु बमों के निर्माण के लिए आवश्यक है। हाल ही में IAEA की रिपोर्ट में बताया गया कि ईरान ने फोर्डो में यूरेनियम का उत्पादन 60% तक बढ़ा दिया है। इजरायली अधिकारियों का कहना है कि इस स्थल पर हमला करना केवल अमेरिका के लिए संभव है।


2. नतांज़

नतांज़ ईरान का एक प्रमुख यूरेनियम संवर्धन स्थल है, जिस पर हाल ही में इजरायल ने हमला किया था। इस हमले से ईरान की परमाणु गतिविधियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। न्यूक्लियर थ्रेट इनिशिएटिव (NTI) के अनुसार, नतांज़ में 6 ज़मीन के ऊपर की इमारतें और तीन भूमिगत संरचनाएँ हैं, जिनमें से दो में 50,000 सेंट्रीफ्यूज रखे जा सकते हैं।


3. इस्फ़हान

इस्फ़हान ईरान का एक और महत्वपूर्ण परमाणु स्थल है, जिस पर इजरायल ने भी हमला किया है। इस्फ़हान पर हमला ईरान की परमाणु गतिविधियों को नुकसान पहुंचा सकता है। यह स्थल ईरान के मध्य में स्थित है और देश का सबसे बड़ा परमाणु अनुसंधान परिसर है। NTI के अनुसार, इस्फ़हान में 3,000 वैज्ञानिक काम कर रहे हैं।