अमेरिका की भारत और चीन पर टैरिफ लगाने की मांग: क्या होगा रूसी तेल का भविष्य?
अमेरिका का कड़ा रुख
भारत पर टैरिफ की मांग: अमेरिका ने रूस से तेल खरीदने वाले देशों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की अपील की है। वॉशिंगटन ने यूरोपीय संघ (EU) और G7 देशों से आग्रह किया है कि वे भारत और चीन पर टैरिफ लगाएं। उनका कहना है कि इन देशों द्वारा रूसी कच्चे तेल की खरीद से मॉस्को को यूक्रेन युद्ध में आर्थिक सहायता मिल रही है।
G7 बैठक में चर्चा
यह अपील G7 वित्त मंत्रियों की हालिया बैठक में की गई, जहां रूस पर नए प्रतिबंधों और उन देशों के खिलाफ व्यापारिक कदम उठाने पर चर्चा हुई जो अप्रत्यक्ष रूप से रूस की युद्ध मशीन को ऊर्जा प्रदान कर रहे हैं।
अमेरिका का सख्त रुख
टैरिफ में वृद्धि: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत से आयातित सामानों पर टैरिफ को 50% तक बढ़ा दिया है। उनका उद्देश्य भारत पर दबाव डालना है ताकि वह रूसी कच्चे तेल की खरीद बंद करे। हालांकि, चीन के खिलाफ ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया है।
एकजुटता की अपील
अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट और व्यापार प्रतिनिधि जेमिसन ग्रीर ने बैठक में कहा, "केवल एकजुट प्रयास से हम पुतिन की युद्ध मशीन को वित्तीय सहायता देने वाले राजस्व को रोक सकते हैं।" कनाडा के वित्त मंत्री फ्रांस्वा-फिलिप शांपेन ने भी रूस की जमी हुई संपत्तियों का उपयोग यूक्रेन की रक्षा में करने पर चर्चा की।
भारत-चीन पर टैरिफ की मांग
मीनिंगफुल टैरिफ: अमेरिकी ट्रेजरी प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि G7 और EU को भारत और चीन के खिलाफ प्रभावी टैरिफ लगाने चाहिए ताकि ये देश रूस से तेल खरीदना बंद करें।
भारत और अमेरिका के रिश्ते
रूसी तेल को लेकर अमेरिका और भारत के बीच तनाव बढ़ा है। ट्रंप प्रशासन द्वारा भारी टैरिफ लगाए जाने के बाद रिश्तों में खटास आई थी, लेकिन हाल ही में दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "भारत और अमेरिका करीबी मित्र हैं।"
भारत का रूसी तेल खरीदने का रुख
भारत ने स्पष्ट किया है कि वह रूसी तेल खरीदने का निर्णय अपनी ऊर्जा सुरक्षा और घरेलू उपभोक्ताओं के लिए किफायती दाम बनाए रखने की रणनीति का हिस्सा मानता है। नई दिल्ली का कहना है कि राष्ट्रीय हित सर्वोपरि हैं और रूस से सस्ता कच्चा तेल भारत की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है।