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अमेरिका ने चीन पर टैरिफ न लगाने का निर्णय लिया: रुबियो

अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने हाल ही में चीन पर टैरिफ न लगाने का निर्णय लिया है, जबकि भारत पर 50% टैरिफ लागू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि चीन रूस से खरीदे गए तेल को रिफाइन करके वैश्विक बाजार में बेचता है, जिससे तेल की कीमतों में वृद्धि हो सकती है। इस बीच, यूरोपीय देशों ने भी चीन पर प्रतिबंधों को लेकर चिंता जताई है। जानें इस मुद्दे पर और क्या कहा गया है।
 

अमेरिकी विदेश मंत्री ने स्पष्ट किया टैरिफ का मामला


वाशिंगटन: वैश्विक व्यापार परिदृश्य में निरंतर परिवर्तन हो रहे हैं। अमेरिका द्वारा नई टैरिफ दरों का प्रभाव प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ रहा है। अमेरिका ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया है, यह कहते हुए कि भारत रूस से तेल आयात कर रहा है, जिसका उपयोग रूस यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में कर रहा है।


हालांकि, अमेरिका चीन के मामले में भेदभाव कर रहा है। भारत ने स्पष्ट किया है कि चीन रूस से 43 प्रतिशत कच्चा तेल आयात करता है, जबकि भारत केवल 17 प्रतिशत आयात करता है। फिर भी, अमेरिका चीन पर कोई टैरिफ नहीं लगाने का निर्णय ले रहा है।


अमेरिकी विदेश मंत्री का बयान

अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि चीन पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है क्योंकि चीन रूस से खरीदे गए तेल को रिफाइन करके वैश्विक बाजार में बेचता है। उन्होंने कहा कि यदि चीन पर प्रतिबंध लगाया गया, तो इससे तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं।


रुबियो ने कहा, 'चीन को जो तेल मिल रहा है, उसका एक बड़ा हिस्सा यूरोप में बेचा जा रहा है।' इस बीच, अमेरिका ने भारत पर रूस से तेल और हथियार खरीदने के लिए 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की है, जो 27 अगस्त से लागू होगा।


यूरोपीय देशों की चिंताएं

रुबियो ने बताया कि यूरोपीय देश चीन के माध्यम से रूस का तेल खरीदते हैं और इस पर चिंतित हैं। उन्होंने कहा, 'जब सीनेट में चीन और भारत पर 100% टैरिफ का प्रस्ताव आया, तो कई यूरोपीय देशों ने चिंता जताई।' जब उनसे पूछा गया कि क्या यूरोप पर रूस से तेल और गैस खरीदने के लिए प्रतिबंध लगाए जाएंगे, तो उन्होंने कहा कि वे सीधे प्रतिबंध की बात नहीं कर रहे हैं, लेकिन सेकेंडरी सेक्शन का असर हो सकता है।