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अमेरिका ने बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी को विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित किया

अमेरिका ने बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी और मजीद ब्रिगेड को विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित किया है। यह निर्णय कराची और ग्वादर में हुए हमलों के संदर्भ में लिया गया है। अमेरिकी विदेश विभाग ने इन संगठनों को SDGT के रूप में भी मान्यता दी है। इस कदम को ट्रंप प्रशासन की आतंकवाद के खिलाफ प्रतिबद्धता के रूप में देखा जा रहा है। जानें इस फैसले के पीछे की वजह और पाकिस्तान के साथ अमेरिका के संबंधों पर इसका प्रभाव।
 

अमेरिका की नई कार्रवाई

नई दिल्ली। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) और उसके मजीद ब्रिगेड को विदेशी आतंकवादी संगठन के रूप में मान्यता दी है। इन संगठनों का नाम कराची और ग्वादर में हुए धमाकों और जाफर एक्सप्रेस हाईजैकिंग में शामिल होने के कारण लिया गया है। अब इन्हें आधिकारिक रूप से विदेशी आतंकवादी संगठनों (FTO) की सूची में शामिल किया गया है। अमेरिकी विदेश विभाग ने मजीद ब्रिगेड को स्पेशली डेजिग्नेटेड ग्लोबल टेररिस्ट (SDGT) के रूप में भी दर्ज किया है।
BLA को पहली बार 2019 में SDGT के रूप में नामित किया गया था, जब इसने पाकिस्तान में कई महत्वपूर्ण हमले किए थे। यह घोषणा ऐसे समय में की गई है जब पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर दो महीने में दूसरी बार अमेरिका का दौरा कर रहे हैं। कई विशेषज्ञ इस निर्णय को पाकिस्तान को संतुष्ट करने और सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने की नीति से जोड़कर देख रहे हैं। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने बताया कि 2019 के बाद से भी BLA और मजीद ब्रिगेड ने कई हिंसक हमले किए हैं, जिनमें 2024 में कराची एयरपोर्ट के पास और ग्वादर पोर्ट अथॉरिटी कॉम्प्लेक्स में आत्मघाती विस्फोट शामिल हैं। मार्च 2025 में इस समूह ने क्वेटा से पेशावर जा रही जाफर एक्सप्रेस को हाईजैक कर लिया था, जिसमें 31 लोगों की जान गई और 300 से अधिक यात्री बंधक बन गए थे.


ट्रंप प्रशासन की आतंकवाद के खिलाफ नीति

अमेरिकी राष्ट्रपति का है सख्त रूख

रूबियो ने कहा कि यह कदम ट्रंप प्रशासन की “आतंकवाद के खिलाफ प्रतिबद्धता” का हिस्सा है। यह कार्रवाई इमिग्रेशन एंड नेशनलिटी एक्ट की धारा 219 और एक्जीक्यूटिव ऑर्डर 13224 के तहत की गई है। उनके अनुसार, आतंकवादी संगठनों को FTO सूची में डालने से उन्हें मिलने वाला आर्थिक और रसद समर्थन रोका जा सकता है। BLA पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में दशकों से अलगाववादी आंदोलन चला रही है। यह समूह बलूचिस्तान को एक स्वतंत्र राष्ट्र बनाने की मांग करता है और पाकिस्तान पर आरोप लगाता है कि वह प्रांत की तेल-खनिज संपदा का शोषण कर रहा है, जबकि स्थानीय बलूच समुदाय गरीबी और उपेक्षा का सामना कर रहा है। अमेरिका ने पिछले महीने द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) को भी FTO और SDGT की सूची में शामिल किया था। वॉशिंगटन ने इसे लश्कर-ए-तैयबा का “फ्रंट और प्रॉक्सी” बताया है। TRF ने 22 अप्रैल को भारत के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली थी।