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अमेरिका ने यूनेस्को से बाहर निकलने का लिया निर्णय

अमेरिका ने मंगलवार को यूनेस्को से बाहर निकलने की घोषणा की है, जिसका आरोप है कि यह संगठन इजराइल के प्रति पूर्वाग्रहित है। यह अमेरिका का तीसरा मौका है जब वह इस संगठन से बाहर जा रहा है। व्हाइट हाउस की उप प्रवक्ता एना केली ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप का यह निर्णय विभाजनकारी मुद्दों के समर्थन के कारण है। अमेरिका ने 2017 में भी इसी कारण से यूनेस्को से बाहर जाने का निर्णय लिया था। जानें इस निर्णय के पीछे की पूरी कहानी और इसके संभावित प्रभाव।
 

यूनेस्को से अमेरिका का तीसरा बाहर निकलना

पेरिस। अमेरिका ने मंगलवार को यह घोषणा की कि वह एक बार फिर से संयुक्त राष्ट्र के शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) से बाहर जा रहा है। अमेरिका का आरोप है कि यह संगठन इजराइल के प्रति पूर्वाग्रहित है। यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब अमेरिका दो साल पहले ही इस संगठन में फिर से शामिल हुआ था। यह अमेरिका का यूनेस्को से बाहर निकलने का तीसरा अवसर होगा। व्हाइट हाउस की उप प्रवक्ता एना केली ने ‘न्यूयॉर्क पोस्ट’ को बताया कि “राष्ट्रपति ट्रंप ने यूनेस्को से अमेरिका को बाहर करने का निर्णय लिया है क्योंकि यह संगठन विभाजनकारी सांस्कृतिक और सामाजिक मुद्दों का समर्थन करता है।”


यूनेस्को और व्हाइट हाउस ने इस निर्णय की पुष्टि नहीं की है, लेकिन पिछले घटनाक्रमों को देखते हुए यह संभावना है। ट्रंप प्रशासन ने 2017 में इसी कारण से यूनेस्को से अलग होने का निर्णय लिया था, जो 2018 में लागू हुआ। 2011 में फलस्तीन को सदस्यता मिलने के बाद से अमेरिका और इजराइल ने वित्तीय सहयोग बंद कर दिया था।


बाइडन प्रशासन के दौरान अमेरिका ने फिर से यूनेस्को में शामिल होने का निर्णय लिया था, लेकिन हालिया निर्णय के अनुसार अमेरिका दिसंबर 2026 के अंत तक इस संगठन से बाहर हो जाएगा।