अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का विवादास्पद परमाणु परीक्षण आदेश
ट्रंप का परमाणु परीक्षण का निर्णय
वॉशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में परमाणु परीक्षण करने का आदेश दिया है, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हलचल मच गई है। ट्रंप ने अपने बयान में कहा कि अमेरिका के पास पहले से ही इतनी संख्या में परमाणु हथियार हैं कि वह पूरी दुनिया को नष्ट कर सकता है, फिर भी उन्हें परीक्षण की आवश्यकता महसूस होती है। उन्होंने रूस और चीन की बढ़ती परमाणु महत्वाकांक्षाओं को अपने इस निर्णय का मुख्य कारण बताया।
ट्रंप का बयान: ट्रंप ने सीबीएस को दिए एक इंटरव्यू में कहा, "हमारे पास दुनिया को 150 बार तबाह करने के लिए पर्याप्त हथियार हैं।" उन्होंने यह निर्णय तब लिया जब उन्हें लगा कि अमेरिका अकेला ऐसा देश नहीं रह सकता जो परमाणु परीक्षण न करे। राष्ट्रपति ने दक्षिण कोरिया में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात से पहले सोशल मीडिया पर रक्षा विभाग को परीक्षण शुरू करने का आदेश दिया। उनके इस निर्णय की वैश्विक स्तर पर आलोचना हुई है, और कई विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इससे परमाणु परीक्षणों की दौड़ फिर से शुरू हो सकती है।
ट्रंप ने कहा, "हमारे पास किसी भी अन्य देश की तुलना में अधिक परमाणु हथियार हैं और हमें इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। मैंने इस विषय पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी चर्चा की है।" उन्होंने यह भी कहा कि वे नहीं चाहते कि अमेरिका एकमात्र ऐसा देश बने जो परीक्षण नहीं कर रहा है। ट्रंप ने आरोप लगाया कि रूस ने हाल ही में परीक्षण शुरू कर दिया है और उत्तर कोरिया भी लगातार परीक्षण कर रहा है।
यह ध्यान देने योग्य है कि अमेरिका ने आखिरी बार 1992 में "ऑपरेशन जूलियन" के तहत परमाणु परीक्षण किया था। वर्तमान में अमेरिका और रूस के बीच यह परीक्षण चर्चा का विषय बना हुआ है, खासकर यूक्रेन युद्ध के कारण दोनों देशों के तनावपूर्ण संबंधों के बीच। उल्लेखनीय है कि दोनों देशों ने परमाणु परीक्षण रोकने वाली संधि ‘सीटीबीटी’ (Comprehensive Nuclear-Test-Ban Treaty) पर हस्ताक्षर किए हैं, जिस पर अब तक 187 देशों ने हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें चीन, भारत, पाकिस्तान, उत्तर कोरिया और इस्राइल भी शामिल हैं।