अयोध्या में राम मंदिर पर ध्वजारोहण: पीएम मोदी का ऐतिहासिक आगमन
अयोध्या का ऐतिहासिक दिन
अयोध्या: आज का दिन अयोध्या के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। वह क्षण आ गया है जिसका इंतजार लाखों राम भक्तों ने किया था। राम मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वज का आरोहण किया जाएगा। यह पहली बार है जब मंदिर का केसरिया ध्वज शिखर पर फहराएगा, जो केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि वैभव, परंपरा और सनातन संस्कृति के पुनर्जागरण का प्रतीक है।
इस अवसर पर अयोध्या और मंदिर को भव्य सजावट से सजाया गया है। गलियों में रोशनी, पुष्प सजावट, दीपों की चमक और रात में मंदिर पर होने वाला लेजर शो इस आयोजन को और भी खास बना रहा है।
पीएम मोदी का आगमन
प्रधानमंत्री का कार्यक्रम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज सुबह लगभग 10 बजे अयोध्या पहुंचेंगे। उनका पहला स्थान सप्तमंदिर होगा, जहां वे विभिन्न देवी-देवताओं के मंदिरों में दर्शन करेंगे। इसके बाद, वे शेषावतार मंदिर जाएंगे और अंत में श्रीराम जन्मभूमि परिसर में विशेष पूजा करेंगे।
मुख्य समारोह दोपहर 12 बजे होगा, जब पीएम मोदी राम मंदिर के 161 फीट ऊंचे शिखर पर पवित्र भगवा ध्वज फहराएंगे। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने इस अवसर पर बड़ी संख्या में लोगों को आमंत्रित किया है। प्रधानमंत्री की उपस्थिति के कारण अयोध्या में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं।
अभिजीत मुहूर्त में ध्वजारोहण
ध्वजारोहण का समय
ज्योतिषियों के अनुसार, आज का धर्म ध्वजारोहण अभिजीत मुहूर्त में होगा, जो सुबह 11:45 बजे से 12:29 बजे के बीच निर्धारित है। परंपरा के अनुसार, भगवान राम का जन्म भी इसी पवित्र मुहूर्त में हुआ माना जाता है, इसलिए इस समय ध्वज फहराना विशेष धार्मिक महत्व रखता है।
25 नवंबर का महत्व
विवाह पंचमी का दिन
अयोध्या के संतों का मानना है कि त्रेता युग में भगवान राम और माता सीता का विवाह मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी के दिन हुआ था। आज वही तिथि है, जिसे विवाह पंचमी कहा जाता है। हिंदू पंचांग में यह तिथि अत्यंत शुभ मानी जाती है।
धर्म ध्वज का विवरण
ध्वज की विशेषताएँ
ध्वजारोहण के लिए तैयार किया गया ध्वज पूरी तरह से केसरिया रंग का है, जो त्याग, वीरता और ज्ञान का प्रतीक है।
लंबाई: 22 फीट
चौड़ाई: 11 फीट
ध्वजदंड की ऊंचाई: 42 फीट
शिखर की ऊंचाई: 161 फीट
ध्वज पर तीन प्रमुख चिह्न उकेरे गए हैं—सूर्य, ॐ, और कोविदार वृक्ष।
सूर्य विजय और ऊर्जा का प्रतीक है।
‘ॐ’ ब्रह्मांड का मूल स्वर और समस्त मंत्रों का प्राण है।
कोविदार वृक्ष सूर्यवंश की परंपरा से जुड़ा है और रामायण में इसका उल्लेख मिलता है।
ध्वजारोहण का धार्मिक महत्व
ध्वजारोहण का महत्व
हिंदू परंपरा में मंदिरों पर ध्वज फहराना देवता की उपस्थिति और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। गरुड़ पुराण में कहा गया है कि मंदिर का ध्वज जिस दिशा में लहराए, वह दिशा पवित्र हो जाती है। रामचरितमानस और वाल्मीकि रामायण में भी ध्वज का उल्लेख है।
आज का ध्वजारोहण केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह अयोध्या में रामराज्य के आदर्शों की पुनर्स्थापना का प्रतीक है। जब यह पवित्र ध्वज मंदिर के शिखर पर लहराएगा, तो यह संपूर्ण विश्व को संदेश देगा कि सनातन संस्कृति का युग पुनः जागृत हो चुका है।