अयोध्या में रामकथा संग्रहालय का सुंदरीकरण कार्य तेजी से प्रगति पर
रामकथा संग्रहालय का विकास
अयोध्या समाचार: अयोध्या में सरयू नदी के किनारे स्थित रामकथा संग्रहालय का सुंदरीकरण कार्य तेजी से चल रहा है। इस संग्रहालय में देशभर के दुर्लभ ग्रंथ, पांडुलिपियाँ और चित्र प्रदर्शित किए जाएंगे। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र निर्माण समिति की बैठक के बाद, इसके अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने रविवार को संग्रहालय की प्रगति और भगवान राम की सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक कथा को संरक्षित करने के महत्व पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि राम कथा संग्रहालय अभी प्रारंभिक चरण में है और वर्तमान में सिविल कार्य चल रहा है। हमारा उद्देश्य इस कार्य को शीघ्रता से पूरा करना है।
संग्रहालय में 20 दीर्घाओं का निर्माण
संग्रहालय में होंगी 20 दीर्घाएं
इस संग्रहालय में लगभग 20 दीर्घाएं स्थापित की जाएंगी। तकनीकी साधनों का उपयोग करके भगवान राम की कथाओं और तथ्यों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया जाएगा। नृपेंद्र मिश्र ने बताया कि ग्राउंड फ्लोर पर दो गैलरी होंगी, जिनमें राम जन्मभूमि के 500 वर्षों तक की कानूनी इतिहास प्रदर्शित की जाएगी। इसके साथ ही खुदाई के दौरान प्राप्त कलाकृतियों को भी यहां रखा जाएगा।
हनुमान गैलरी का निर्माण
बेसमेंट में होगी हनुमान गैलरी
नृपेंद्र मिश्र ने बताया कि संग्रहालय के बेसमेंट में एक विशेष गैलरी होगी, जहां भक्त जान सकेंगे कि विश्वभर में भगवान राम की पूजा कैसे की जाती है। इसके अलावा, यहां हनुमान गैलरी भी होगी, जिसे आईआईटी चेन्नई द्वारा विकसित किया जा रहा है। इसका कार्य नवंबर या दिसंबर में पूरा होने की उम्मीद है। यहां भगवान राम और हनुमान जी की लीलाओं की 7D डॉक्यूमेंट्री भी प्रदर्शित की जाएगी।
डिजिटल तकनीक का उपयोग
अयोध्या में राम कथा संग्रहालय को दिल्ली के प्रधानमंत्री म्यूजियम के तर्ज पर बनाया जा रहा है, जहां डिजिटल तकनीक के माध्यम से प्रभु राम की गाथा को समझा जा सकेगा। यहां विभिन्न भाषाओं और रूपों में लिखी गई रामायण भी देखने को मिलेगी। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक का उपयोग भक्तों को श्रीराम के जीवन को बेहतर तरीके से समझाने के लिए किया जाएगा।
कुबेर टीला तक सड़क निर्माण की योजना
कुबेर टीला तक रोड बनाने की है योजना
उन्होंने बताया कि भक्तों को कुबेर टीला जैसे स्थानों तक पहुँचाने के लिए मार्ग बनाने की योजना है। ट्रस्ट इस बात पर विचार कर रहा है कि श्रद्धालुओं की संख्या को कैसे प्रबंधित किया जाए। कुबेर टीला जैसे स्थलों की सुरक्षा पर भी ध्यान दिया जाएगा, क्योंकि ये टीला अधिक भार नहीं सह सकता है। वर्तमान में यहां की क्षमता एक समय में 700 से 1000 लोगों की है, और अन्य पहलुओं पर भी विचार किया जा रहा है।