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अरविंद केजरीवाल को मिला सरकारी आवास, हाईकोर्ट के आदेश के बाद हुआ आवंटन

दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के बाद, अरविंद केजरीवाल को 95 लोधी एस्टेट में सरकारी बंगला आवंटित किया गया है। यह आवंटन लंबे समय से चल रही कानूनी लड़ाई और केंद्र सरकार के साथ विवाद के बाद हुआ। अदालत ने आवास आवंटन में पारदर्शिता और समानता की आवश्यकता पर जोर दिया। जानें इस फैसले के पीछे की पूरी कहानी और आम आदमी पार्टी की प्रतिक्रिया।
 

केजरीवाल को आवंटित हुआ टाइप-VII बंगला

नई दिल्ली: लंबे समय तक चली कानूनी लड़ाई और केंद्र सरकार के साथ विवाद के बाद, आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 95 लोधी एस्टेट में टाइप-VII बंगला आवंटित किया गया है। यह आवास उन्हें राष्ट्रीय पार्टी के प्रमुख के रूप में दिया गया है।


यह आवंटन तब हुआ जब दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को आवास आवंटन में हो रही देरी पर कड़ी टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि सरकारी आवासों का वितरण पारदर्शिता और समानता के सिद्धांतों पर होना चाहिए। कोर्ट ने 'आप' की उस याचिका पर सुनवाई की, जिसमें पार्टी ने अपने राष्ट्रीय संयोजक के लिए आवास की मांग की थी।


हाईकोर्ट ने 16 सितंबर को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के रवैये को “टालमटोल” करार देते हुए कहा कि आवास आवंटन की प्रक्रिया किसी विशेष व्यक्ति के लिए नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह समान अवसर की प्रणाली पर आधारित होनी चाहिए। अदालत ने केंद्र को स्पष्ट किया कि सरकारी आवास किसी भी व्यक्ति या पद के प्रति भेदभाव के आधार पर नहीं दिए जा सकते।


इससे पहले, आम आदमी पार्टी ने 35 लोधी एस्टेट में टाइप-VII बंगला केजरीवाल को देने का प्रस्ताव रखा था। यह वही बंगला था जिसे बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती ने मई में खाली किया था। हालांकि, केंद्र सरकार ने उस बंगले को केजरीवाल के बजाय एक केंद्रीय राज्य मंत्री को आवंटित कर दिया था, जिससे विवाद और बढ़ गया था।


इसके बाद, हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि वह आवंटन की प्राथमिकता और प्रक्रिया के रिकॉर्ड अदालत के समक्ष प्रस्तुत करे और यह स्पष्ट करे कि आखिर किस आधार पर अरविंद केजरीवाल को प्राथमिकता सूची में पीछे रखा गया। अब जबकि 95 लोधी एस्टेट का बंगला केजरीवाल को मिल गया है, 'आप' ने इसे “न्याय की जीत” बताया है।


पार्टी नेताओं ने कहा कि यह निर्णय न केवल कानूनी रूप से सही है, बल्कि यह दर्शाता है कि संस्थाओं में पारदर्शिता और समानता अभी भी बनी हुई है।