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असदुद्दीन ओवैसी ने मुसलमानों के अधिकारों की रक्षा के लिए सरकार पर साधा निशाना

असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र सरकार पर मुसलमानों को अवैध प्रवासी घोषित करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि गरीब मुसलमानों को बार-बार निशाना बनाया जा रहा है। ओवैसी ने पुलिस की कार्रवाई को गैरकानूनी बताया और पुणे में 5 बांग्लादेशी महिलाओं की गिरफ्तारी पर भी टिप्पणी की। जानें इस मुद्दे पर उनके विचार और सरकार की नीतियों पर उनकी प्रतिक्रिया।
 

ओवैसी का केंद्र सरकार पर आरोप

असदुद्दीन ओवैसी: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहा मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने बिलासपुर में मुसलमानों को न्याय दिलाने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना की है। उन्होंने प्रशासन पर आरोप लगाया कि वह मुसलमानों को गलत तरीके से अवैध प्रवासी घोषित कर रहा है। ओवैसी ने कहा कि सरकार गरीबों के साथ है, जबकि वास्तविकता में गरीबी बढ़ती जा रही है।


पुलिस कार्रवाई पर ओवैसी की प्रतिक्रिया

सिकंदर के एक निवासी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने कहा कि जिन लोगों को अवैध रूप से प्रतिबंधित किया जा रहा है, उन्हें बार-बार अपमानित किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय नागरिकों को बांग्लादेश जाने के लिए मजबूर करने की घटनाएँ चिंताजनक हैं।


ओवैसी ने पुलिस के कार्यों को बताया गैरकानूनी


ओवैसी ने कहा, "पुलिस भारत के विभिन्न हिस्सों में मुस्लिम नागरिकों पर नज़र रख रही है और उन पर बांग्लादेशी होने का आरोप लगा रही है। जिन पर अवैध प्रवासी होने का आरोप है, उनमें से अधिकांश गरीब हैं, जैसे झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले और घरेलू कामगार। उन्हें बार-बार निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि वे पुलिस अधिकारियों का विरोध नहीं कर सकते।"


सोशल मीडिया पर ओवैसी का पोस्ट

असदुद्दीन ओवैसी ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में ज़िला मजिस्ट्रेट कार्यालय के एक आधिकारिक आदेश की तस्वीर साझा की, जिसमें कहा गया है कि राज्य सरकार ने बांग्लादेशी नागरिकों और रोहिंग्याओं को वापस लेने के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) लागू की है। ओवैसी ने कहा, "पुलिस को किसी व्यक्ति को सिर्फ़ इसलिए हिरासत में लेने का अधिकार नहीं है क्योंकि वह एक ख़ास भाषा बोलता है।"


पुणे में महिलाओं की गिरफ्तारी पर ओवैसी की टिप्पणी

पुणे में 5 महिलाओं की गिरफ्तारी के बाद ओवैसी का बयान


एआईएमआईएम प्रमुख ओवैसी का यह बयान पुणे सिटी पुलिस द्वारा 23 जुलाई को 5 बांग्लादेशी महिलाओं की गिरफ्तारी के बाद आया है। रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने विशेष सूचना के आधार पर कार्रवाई की।


ये महिलाएँ 20 से 28 वर्ष की आयु की हैं और बिना किसी वैध दस्तावेज़ के भारत में रह रही थीं। जाँच में पता चला है कि वे बांग्लादेश से अवैध रूप से आई थीं और पश्चिम बंगाल की निवासी बनकर पुणे में रह रही थीं।