असम सरकार का आधार कार्ड पर नया निर्णय: वयस्कों को नहीं मिलेगा कार्ड
असम मंत्रिमंडल का महत्वपूर्ण निर्णय
असम मंत्रिमंडल का निर्णय: असम के मंत्रिमंडल ने हाल ही में यह निर्णय लिया है कि राज्य में वयस्कों को आधार कार्ड जारी नहीं किया जाएगा। हालांकि, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और चाय बागान समुदायों के सदस्यों को एक वर्ष का अतिरिक्त समय दिया जाएगा। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने यह जानकारी कैबिनेट बैठक के बाद दी। उन्होंने बताया कि यह निर्णय आधार कार्ड की बढ़ती संख्या और अवैध प्रवासियों की समस्या को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि असम में आधार कार्ड की संतृप्ति 103% है, जबकि एससी, एसटी और चाय बागान समुदायों में यह 96% है। उन्होंने कहा, "हमने यह निर्णय इसलिए लिया है क्योंकि पिछले एक साल में हम बांग्लादेशियों को सीमा पर पकड़ते रहे हैं। हमें यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी अवैध रूप से असम में प्रवेश न कर सके और आधार कार्ड के माध्यम से भारतीय नागरिक के रूप में न रह सके।" उन्होंने यह भी बताया कि यह निर्णय 1 अक्टूबर से लागू होगा।
सरमा ने कहा कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और चाय बागान समुदायों के सदस्यों को आधार कार्ड के लिए आवेदन करने के लिए एक साल का समय मिलेगा। इसके बाद, 18 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को आधार कार्ड केवल "दुर्लभतम मामलों" में ही जारी किए जाएंगे, और यह प्रक्रिया जिला पुलिस और विदेशी न्यायाधिकरणों की रिपोर्ट के बाद होगी।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि यदि कोई व्यक्ति एक वर्ष के बाद भी आवेदन नहीं कर पाता है, तो उसे संबंधित उपायुक्त के पास आवेदन करना होगा। उपायुक्त सभी संबंधित पक्षों से परामर्श करने के बाद ही निर्णय ले सकेंगे।
पिछले महीने, एक अन्य कैबिनेट बैठक में, सरमा ने बताया था कि वयस्कों के लिए नए आधार कार्ड बनाने की नीति पर विचार किया जा रहा है, जो केवल उपायुक्तों द्वारा जारी किए जाएंगे। यह निर्णय "घुसपैठियों" को इस दस्तावेज़ का लाभ उठाने से रोकने के लिए किया जा रहा है। वर्तमान प्रक्रिया में आवेदन आधार केंद्रों पर किए जाते हैं, और जिला स्तर पर एडीसी या सर्किल अधिकारियों द्वारा सत्यापन किया जाता है।