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अस्पतालों में कैथेटर से रक्त संक्रमण का खतरा: नई अध्ययन में खुलासा

दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की एक नई अध्ययन में यह खुलासा हुआ है कि अस्पतालों में कैथेटर के उपयोग से मरीजों में रक्त संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है। इस अध्ययन में 54 अस्पतालों के डेटा का विश्लेषण किया गया, जिसमें 8,629 मामलों में संक्रमण की पुष्टि हुई। कोविड-19 महामारी के दौरान संक्रमण के मामले सबसे अधिक देखे गए। अध्ययन में यह भी बताया गया है कि संक्रमण के बढ़ने के पीछे साफ-सफाई के नियमों की अनदेखी और कैथेटर के उपयोग में लापरवाही शामिल है।
 

कैथेटर का उपयोग और उसके खतरे

नई दिल्ली: जब कोई व्यक्ति गंभीर रूप से बीमार होता है और उसे अस्पताल में भर्ती किया जाता है, तो डॉक्टर उपचार के लिए उसके शरीर में विभिन्न प्रकार की नलियाँ लगाते हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण नली होती है जिसे 'कैथेटर' कहा जाता है। यह एक पतली नली होती है, जिसका उपयोग दवा देने, खून निकालने, पेशाब निकालने या शरीर को आवश्यक तरल और पोषण प्रदान करने के लिए किया जाता है। हालाँकि, अब डॉक्टर और वैज्ञानिक इस बात को लेकर चिंतित हैं कि ये कैथेटर मरीजों के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं।


दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) द्वारा की गई एक नई अध्ययन में यह पाया गया है कि अस्पतालों में कैथेटर के उपयोग से मरीजों में गंभीर रक्त संक्रमण फैल रहा है। इस संक्रमण को चिकित्सा भाषा में सेंट्रल लाइन-एसोसिएटेड ब्लडस्ट्रीम इंफेक्शन्स (सीएलएबीएसआई) कहा जाता है। जब यह संक्रमण फैलता है, तो खून के माध्यम से खतरनाक कीटाणु शरीर में प्रवेश कर जाते हैं, जिससे मरीज की स्थिति और बिगड़ सकती है। ये कीटाणु आमतौर पर अस्पताल के वातावरण में होते हैं और कई बार सामान्य एंटीबायोटिक दवाओं पर भी असर नहीं करते।


यह अध्ययन 'द लैंसेट ग्लोबल हेल्थ' नामक चिकित्सा पत्रिका में प्रकाशित हुआ है, जिसमें बताया गया है कि देशभर के 54 अस्पतालों की 200 आईसीयू यूनिट्स से 2017 से 2024 तक का डेटा एकत्र किया गया। इस दौरान 8,629 मामलों में रक्त संक्रमण की पुष्टि हुई, और हर 1,000 सेंट्रल लाइन-डे पर औसतन 8.83 मरीजों को संक्रमण हुआ। सबसे अधिक मामले कोविड-19 महामारी के दौरान, यानी 2020-21 में दर्ज किए गए, जब अस्पतालों में मरीजों का दबाव अत्यधिक था और स्टाफ की कमी थी।


अध्ययन में यह भी पाया गया कि इन संक्रमणों का मुख्य कारण आईसीयू में मरीजों की अधिक संख्या, साफ-सफाई के नियमों की अनदेखी, और कैथेटर से संबंधित आवश्यक सावधानियों का पालन न करना है। इससे मरीजों को लंबे समय तक अस्पताल में रहना पड़ता है और उनके उपचार का खर्च भी बढ़ जाता है। इन खतरों से बचने के लिए कैथेटर का उपयोग सोच-समझकर और सावधानी से किया जाना चाहिए, स्टाफ को उचित प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए, और अस्पतालों में संक्रमण से बचाव के सख्त नियम लागू किए जाने चाहिए।