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आगरा के मानसिक स्वास्थ्य संस्थान में भ्रष्टाचार की गंभीर शिकायतें

आगरा के मानसिक स्वास्थ्य संस्थान में नियुक्तियों और वित्तीय अनियमितताओं की गंभीर शिकायतें सामने आई हैं। शिकायत में कहा गया है कि कार्यवाहक निदेशक ने अपने करीबी लोगों को नियुक्त किया है और नियमों का उल्लंघन कर सरकारी धन का दुरुपयोग किया है। इस मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उच्च स्तरीय जांच की मांग की गई है। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और क्या हैं इसके गंभीर निहितार्थ।
 

आगरा में मानसिक स्वास्थ्य संस्थान में अनियमितताओं की शिकायत

आगरा। मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय में नियुक्तियों, पुनः नियुक्तियों और कार्यों में अनियमितताओं की शिकायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजी गई है। शिकायत में कहा गया है कि संस्थान में चल रही धांधली न केवल सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचा रही है, बल्कि इसकी प्रतिष्ठा को भी धूमिल कर रही है। मरीजों के इलाज की गुणवत्ता पर भी सवाल उठ रहे हैं।


नियुक्तियों में गंभीर अनियमितताएं

संस्थान में योग्य उम्मीदवारों को नजरअंदाज कर कार्यवाहक निदेशक डॉ. दिनेश सिंह राठौर ने अपने करीबी लोगों को नियुक्त किया है। एडिक्शन ट्रीटमेंट फैसेलिटीज (एटीएफ) स्कीम के तहत नियमों की अनदेखी करते हुए, उन्होंने अपने रिश्तेदार को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए विशेष विज्ञप्ति जारी कर मेडिकल ऑफिसर के पद पर नियुक्त किया।


इसके अलावा, मैनपॉवर एजेंसी हर्ष इंटरप्राइजेज के माध्यम से बिना नई निविदा प्रक्रिया के नियुक्तियां की गई हैं। निदेशक ने पुरानी एजेंसी के माध्यम से अपने परिचितों की नियुक्ति कर व्यक्तिगत लाभ के लिए पद का दुरुपयोग किया है। यह मामला सरकारी नियुक्ति प्रक्रियाओं की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े करता है।


संस्थान में कई ऐसे कर्मचारी हैं जिन्हें उनके मूल पदों से हटाकर अन्य कार्य सौंपे गए हैं, जो सेवा नियमों का उल्लंघन है। उदाहरण के लिए, फार्मासिस्ट संजय वर्मा को स्टोर कीपर के रूप में कार्य करने के लिए मजबूर किया गया है, जो नियमों के खिलाफ है।


क्रय प्रक्रिया में अनियमितताएं

संस्थान के निदेशक द्वारा क्रय प्रक्रिया में नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है। कई क्रय आदेशों में बाजार मूल्य से अधिक दाम पर सामग्री खरीदी जा रही है। हाल ही में मशीनी उपकरणों की खरीद में भी बड़े पैमाने पर वित्तीय लाभ उठाया गया है।


इसके अलावा, भारत सरकार द्वारा दी गई धनराशि का उपयोग गलत मदों में किया जा रहा है, जो सार्वजनिक धन का दुरुपयोग है। निदेशक द्वारा कमीशनखोरी के लिए धनराशि का गलत उपयोग किया जा रहा है।


अन्य वित्तीय अनियमितताएं

संस्थान में भर्ती रोगियों की संख्या में कमी आई है, जबकि आउटसोर्स और नियमित कर्मचारियों की संख्या अत्यधिक है। यह वित्तीय अनियमितताओं का संकेत है।


शिकायतकर्ता ने सीएम से अनुरोध किया है कि इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की जाए, जिसमें सभी संबंधित दस्तावेजों की गहनता से जांच की जाए।