आधार कार्ड की उपयोगिता पर सवाल: चुनाव आयोग का नया हलफनामा
आधार कार्ड का भविष्य क्या होगा?
देश के 99.9 प्रतिशत नागरिकों को यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर और आधार कार्ड प्राप्त हो चुके हैं, लेकिन अब यह सवाल उठता है कि इनका क्या होगा। यह प्रश्न बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण के बाद से चर्चा का विषय बना हुआ है, और अब चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर इसकी प्रासंगिकता को खत्म कर दिया है। बिहार में मतदाता सूची के पुनरीक्षण पर 28 जुलाई को सुनवाई होने वाली है। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को 21 जुलाई तक हलफनामा पेश करने का निर्देश दिया था।
चुनाव आयोग का हलफनामा
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को सलाह दी थी कि मतदाता सूची के सत्यापन में आधार, मनरेगा कार्ड और राशन कार्ड को स्वीकार करने पर विचार किया जाए। आयोग ने 21 जुलाई को हलफनामा दायर किया, जिसमें कहा गया कि मतदाता बनने के लिए नागरिकता का सत्यापन आवश्यक है, जो आधार के माध्यम से संभव नहीं है। इस प्रकार, चुनाव आयोग ने स्पष्ट कर दिया कि आधार की कोई उपयोगिता नहीं है।
आधार कार्ड पर सरकार का दबाव
केंद्र सरकार ने आधार कार्ड बनाने के लिए राज्य की पूरी ताकत लगाई थी, और नागरिक समूहों को राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा। सितंबर 2018 में, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार किसी भी सेवा के लिए आधार को अनिवार्य नहीं कर सकती। इसके बावजूद, सरकार ने नागरिकों पर आधार बनवाने का दबाव बनाए रखा।
मतदाता सूची में आधार की भूमिका
चुनाव आयोग ने 66 करोड़ मतदाताओं का आधार प्राप्त कर लिया है, और अब यह कहा जा रहा है कि आधार को वोटर आईडी से लिंक करना अनिवार्य है। यदि कोई व्यक्ति ऐसा नहीं करता है, तो उसे इसका उचित कारण बताना होगा। हालांकि, आयोग का कहना है कि आधार से मतदाता सूची नहीं बनाई जाएगी। इसका मतलब है कि यदि किसी के पास केवल आधार है, तो वह मतदाता नहीं बन पाएगा।
आधार की प्रमाणिकता पर सवाल
आधार से न तो आवास का पता प्रमाणित होता है, न जन्म तिथि, और न ही नागरिकता। इससे यह स्पष्ट होता है कि आधार केवल यह प्रमाणित करता है कि आप एक इंसान हैं। इसके बावजूद, नागरिकों के बैंक खातों को आधार से लिंक किया गया है, और कई योजनाओं का लाभ भी आधार से जुड़े खातों के माध्यम से दिया जाता है।
भविष्य की अनिश्चितता
अब सवाल यह उठता है कि आधार का क्या होगा? क्या यह दस्तावेज अब बेकार हो गया है? क्या पासपोर्ट, बैंक खाता खोलने या फोन कनेक्शन के लिए इसे मान्यता नहीं दी जाएगी? यदि ऐसा होता है, तो यह आम नागरिकों के लिए एक बड़ी समस्या होगी, क्योंकि अधिकांश लोगों के पास आधार के अलावा अन्य दस्तावेज नहीं हैं।