आधार कार्ड को नागरिकता का प्रमाण नहीं माना जाएगा: चुनाव आयोग
आधार कार्ड की पहचान के रूप में सीमित भूमिका
आधार कार्ड नागरिकता का प्रमाण नहीं: बिहार में सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत के बाद, यह सवाल उठ रहा था कि क्या राष्ट्रीय स्तर पर मतदाता सूची संशोधन (SIR) में आधार कार्ड को मान्यता दी जाएगी। इस पर चुनाव आयोग ने स्पष्टता प्रदान की है। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने रविवार को कहा कि आधार कार्ड केवल 'पहचान का प्रमाण' है, और इसे नागरिकता या निवास का सबूत नहीं माना जा सकता है।
आधार नंबर देना वैकल्पिक
पटना में चुनाव तैयारियों की समीक्षा के दौरान, ज्ञानेश कुमार ने कहा कि वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने के लिए आधार नंबर देना पूरी तरह से वैकल्पिक है। उन्होंने बताया, 'आधार देना न तो Representation of the People Act की धारा 26 के तहत अनिवार्य है और न ही Aadhaar Act के तहत। यह पूरी तरह धारक की इच्छा पर निर्भर करता है।'
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने दी थी सीमित अनुमति: 8 सितंबर को जस्टिस सूर्यकांत और जॉयमाला बागची की पीठ ने बिहार में विशेष मतदाता सूची संशोधन (SIR) के दौरान आधार कार्ड को 12वें दस्तावेज के रूप में स्वीकार करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा कि आधार व्यक्ति की पहचान बताता है, लेकिन नागरिकता नहीं। पहले मतदाता सूची में नाम जोड़ने के लिए 11 दस्तावेजों में से किसी एक को देना जरूरी था।
चुनाव आयोग का स्पष्टीकरण
चुनाव आयोग ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पूरी तरह पालन कर रहा है। कुमार ने बताया, 'हमने हमेशा से आधार को पहचान प्रमाण के रूप में स्वीकार किया है, और आगे भी करेंगे। लेकिन यह नागरिकता साबित नहीं कर सकता। अगर किसी ने 2023 के बाद आधार कार्ड लिया या डाउनलोड किया है, तो उस पर भी लिखा होता है कि यह जन्मतिथि या नागरिकता का सबूत नहीं है।'
राष्ट्रीय स्तर पर भी यही नियम लागू
राष्ट्रीय स्तर पर भी रहेगा यही नियम: बिहार में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, यह नियम राष्ट्रीय स्तर पर भी लागू रहेगा। चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि आने वाले राष्ट्रीय विशेष मतदाता सूची संशोधन अभियान (National SIR) में भी आधार केवल पहचान प्रमाण के रूप में स्वीकार किया जाएगा। आयोग ने यह भी दोहराया कि नागरिकता साबित करने के लिए पासपोर्ट, जन्म प्रमाणपत्र या अन्य वैध दस्तावेज जरूरी होंगे।