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आप पार्टी ने स्कूल फीस बिल में संशोधन की मांग की, भाजपा को तय करना है किसका साथ

आम आदमी पार्टी ने भाजपा सरकार द्वारा पेश किए गए स्कूल फीस बिल में चार महत्वपूर्ण संशोधन की मांग की है। नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने कहा कि यह बिल माता-पिता के हितों के खिलाफ है और इसमें कई प्रावधानों को बदलने की आवश्यकता है। उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह प्राइवेट स्कूलों के पक्ष में खड़ी है। 'आप' ने बिल में स्कूलों का ऑडिट कराने, माता-पिता की शिकायतों पर कार्रवाई करने और कमेटी में अधिक माता-पिता को शामिल करने की मांग की है। इस मुद्दे पर विधानसभा में वोटिंग के दौरान भाजपा के विधायक किसके पक्ष में वोट देते हैं, यह देखने की बात होगी।
 

आप पार्टी की संशोधन मांग

आम आदमी पार्टी (AAP) ने भाजपा सरकार द्वारा पेश किए गए स्कूल फीस बिल को माता-पिता के हितों के खिलाफ बताते हुए उसमें चार महत्वपूर्ण संशोधन की मांग की है। दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने कहा कि 'आप' विधायक दल ने माता-पिता के हक में बिल में संशोधन के प्रस्ताव दिए हैं। अब यह भाजपा पर निर्भर है कि वह किसके पक्ष में खड़ी होती है। भाजपा के विधायक इन प्रस्तावों पर किसके पक्ष में वोट देते हैं, इससे स्पष्ट हो जाएगा कि वे माता-पिता के साथ हैं या प्राइवेट स्कूलों के साथ। उन्होंने कहा कि हमने बिल में स्कूलों का ऑडिट कराने का प्रावधान जोड़ने की मांग की है, जिस पर माता-पिता 15 दिनों में अपने सुझाव देंगे और उसी आधार पर कमेटी फीस तय करेगी।


बिल पर चर्चा का इतिहास

सोमवार को 'आप' विधायक दल के चीफ व्हीप संजीव झा और विधायक कुलदीप कुमार के साथ पार्टी मुख्यालय पर प्रेस वार्ता में आतिशी ने कहा कि भाजपा सरकार ने प्राइवेट स्कूलों की फीस को नियंत्रित करने के लिए स्कूल फीस बिल पेश किया है। अप्रैल से इस बिल पर चर्चा चल रही है। अप्रैल में ही प्राइवेट स्कूलों ने मनमाने तरीके से अपनी फीस बढ़ा दी थी, जिससे माता-पिता को स्कूल के बाहर विरोध करना पड़ा। ऐसे समय में भाजपा ने कहा कि वह बिल लाएगी। अप्रैल में कैबिनेट में बिल पास हुआ, लेकिन जुलाई तक यह बिल नहीं आया। अब अगस्त में इसे दिल्ली विधानसभा में पेश किया गया।


सरकार की नीयत पर सवाल

आतिशी ने सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हुए कहा कि चार महीने बाद यह बिल विधानसभा में क्यों लाया गया? उन्होंने आरोप लगाया कि यह बिल केवल प्राइवेट स्कूलों को बचाने के लिए लाया गया है। माता-पिता की राय लिए बिना ही यह बिल पेश किया गया। उन्होंने कहा कि माता-पिता को बिल की कॉपी तक नहीं दिखाई गई, क्योंकि यह बिल उनके हित में नहीं है।


संशोधन प्रस्तावों का विवरण

आतिशी ने कहा कि 'आप' विधायक दल ने कई संशोधन प्रस्तावित किए हैं, ताकि बिल के प्रावधान स्कूल मालिकों के बजाय माता-पिता के हक में हों। इन संशोधनों पर सदन में वोट किया जाएगा। उन्होंने कहा कि बिल को सिलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांग की गई है, ताकि हितधारकों की राय ली जा सके।


फीस निर्धारण में पारदर्शिता

आतिशी ने कहा कि प्राइवेट स्कूल फीस एक्ट में सबसे बड़ी खामी यह है कि फीस निर्धारण करने वाली कमेटी की अध्यक्षता स्कूल प्रबंधन का एक सदस्य करेगा। इस कमेटी में केवल 5 माता-पिता शामिल होंगे। 'आप' ने मांग की है कि इस कमेटी में 10 माता-पिता शामिल हों, जो जनरल बॉडी के चुनाव के माध्यम से चुने जाएंगे।


बिल के अन्य विवादास्पद प्रावधान

आतिशी ने कहा कि बिल के सेक्शन-5 से भाजपा की असली मंशा स्पष्ट होती है। उन्होंने कहा कि बिल के माध्यम से प्राइवेट स्कूलों को फीस बढ़ाने का मौका दिया जा रहा है। 'आप' ने संशोधन प्रस्तुत किया है कि जब तक स्कूल के सभी खातों का ऑडिट नहीं हो जाता, तब तक कोई भी प्राइवेट स्कूल 2024-25 में ली गई फीस से अधिक फीस नहीं वसूल सकता है।


माता-पिता के अधिकारों का हनन

आतिशी ने कहा कि भाजपा ने बिल के जरिए माता-पिता का शिकायत करने का अधिकार छीना है। वर्तमान में माता-पिता स्कूल के खिलाफ शिक्षा निदेशक के पास अपनी शिकायत कर सकते हैं, लेकिन नए बिल में 15 प्रतिशत माता-पिता के हस्ताक्षर अनिवार्य कर दिए गए हैं। 'आप' ने मांग की है कि 15 माता-पिता की शिकायत पर भी सुनवाई हो।


दिल्ली के माता-पिता से अपील

आतिशी ने दिल्ली के माता-पिता से अपील की कि जब इन संशोधनों पर वोटिंग हो, तो दिल्ली विधानसभा का लाइव टेलिकास्ट प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के हर माता-पिता जरूर देखें। इससे यह स्पष्ट हो जाएगा कि भाजपा के विधायक माता-पिता के हक में वोट देते हैं या स्कूल मालिकों के हक में।


संजीव झा का बयान

संजीव झा ने कहा कि यह बिल शिक्षा माफियाओं को संरक्षण देता है और माता-पिता के हितों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि यह बिल प्राइवेट स्कूलों की मनमानी फीस बढ़ोतरी को वैध बनाता है।


संशोधन प्रस्तावों की सूची

  1. बिल को सिलेक्ट कमेटी में भेजा जाए, ताकि माता-पिता से राय ली जाए।
  2. फी रेगुलेशन कमेटी 15 सदस्यीय हो, जिसमें 10 माता-पिता हों जो पर्ची से नहीं, जनरल बॉडी के चुनाव से चुने जाएं।
  3. कमेटी की बैठक से पहले स्कूल के खातों का ऑडिट हो। ऑडिट रिपोर्ट माता-पिता को भेजी जाए और फीडबैक देने के लिए उन्हें 15 दिन का समय दिया जाए।
  4. स्कूल की शिकायत के लिए 15 फीसद नहीं, सिर्फ 15 माता-पिता की शिकायत पर सुनवाई हो।
  5. पैरेंट्स को कमेटी के फैसले के खिलाफ कोर्ट जाने का हक हो।