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आपातकाल: भारतीय लोकतंत्र पर एक काला धब्बा, कविंदर गुप्ता का बयान

जम्मू-कश्मीर के पूर्व उप मुख्यमंत्री कविंदर गुप्ता ने आपातकाल को भारतीय लोकतंत्र का काला अध्याय बताया। उन्होंने 1975 में लागू आपातकाल के दौरान मौलिक अधिकारों के हनन और भयावहता के बारे में अपने अनुभव साझा किए। सुनील गुप्ता ने भी उस समय की दहशत को याद किया। जानें इस काले अध्याय के बारे में और कैसे यह इतिहास नई पीढ़ी को प्रभावित कर सकता है।
 

आपातकाल का काला अध्याय

जम्मू: जम्मू-कश्मीर के पूर्व उप मुख्यमंत्री कविंदर गुप्ता ने एक मीडिया चैनल के साथ बातचीत में आपातकाल को भारतीय लोकतंत्र का एक काला अध्याय बताया।


उन्होंने कहा कि 25 जून 1975 की रात, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लागू किया, यह लोकतंत्र पर एक गंभीर हमला था। इस दौरान मौलिक अधिकारों का हनन हुआ, प्रेस की स्वतंत्रता को समाप्त कर दिया गया और पूरे देश को एक जेल में बदल दिया गया। जो भी व्यक्ति सरकार के खिलाफ बोलता था, उसे जेल में डाल दिया जाता था। उस समय का माहौल भयावह था, जहां पुलिस कांग्रेस के नेताओं के निर्देशों पर अधिक काम करती थी।


कविंदर गुप्ता ने आगे कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद आपातकाल देश पर थोप दिया गया। यह एक काला इतिहास था, जिसमें लोकतांत्रिक देश में तानाशाही का माहौल बना दिया गया था, जिससे लोग डर के साये में जीने को मजबूर हो गए थे।


उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि वह उस समय पोस्टर छापने और दीवार लेखन में सक्रिय थे। एक रात उन्हें चार बजे घर से गिरफ्तार किया गया और जेल में बेरहमी से पीटा गया। उन्हें सात दिन के लिए रिमांड पर रखा गया। कांग्रेस ने हमेशा अपने फायदे के लिए कानूनों में बदलाव किया और सरकारें गिराईं। आपातकाल का वह दौर देश के लिए कभी न भूलने वाला था। 21 महीने का आपातकाल भारत के लिए एक काला अध्याय था। कांग्रेस ने देश को बंधक बना लिया था। उस समय जबरदस्ती नसबंदी, जजों और अधिकारियों पर दबाव, ये सब उस समय की सच्चाई थी। नई पीढ़ी को इस इतिहास से अवगत कराने की आवश्यकता है ताकि ऐसा दौर फिर से न आए।


आपातकाल के गवाह सुनील गुप्ता ने भी उस समय की भयावहता को याद किया। उन्होंने कहा, “मैं उस समय 14 साल का था। इंदिरा गांधी ने पूरे देश को जेल बना दिया था। यह कांग्रेस का देश पर लगाया गया काला धब्बा था। विरोध करने वालों को जेल में डालकर प्रताड़ित किया जाता था। हमारे घर के चार-पांच लोग गिरफ्तार हुए। मैंने भी गिरफ्तारी दी। हम डरते नहीं थे, क्योंकि हम देशभक्ति के लिए लड़ रहे थे। उस वक्त जो भारत माता की जय बोलता था, उसे गिरफ्तार कर लिया जाता था।”


उन्होंने यह भी कहा, “आरएसएस एक देशभक्त संगठन है, लेकिन उसे भी बैन कर दिया गया। आपातकाल हटने के बाद इंदिरा गांधी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा।”