आयकर विधेयक 2025: क्या हैं नए बदलाव और किसे मिलेगा लाभ?
केंद्र सरकार का नया आयकर विधेयक
केंद्र सरकार ने 11 अगस्त 2025 को लोकसभा में संशोधित आयकर विधेयक 2025 पेश किया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस विधेयक को प्रस्तुत करते हुए कहा कि यह नया कानून देश के आयकर ढांचे में महत्वपूर्ण परिवर्तन लाने का प्रयास है। यह विधेयक 1961 के मौजूदा आयकर अधिनियम को प्रतिस्थापित करेगा और कर प्रणाली को अधिक सरल, पारदर्शी और करदाता के अनुकूल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
प्रवर समिति की सिफारिशों का समावेश
संशोधित विधेयक में भाजपा सांसद बैजयंत जय पांडा की अध्यक्षता वाली प्रवर समिति द्वारा दी गई सिफारिशों को शामिल किया गया है। इस समिति ने कुल 285 सुझाव दिए थे, जिनमें से अधिकांश को सरकार ने स्वीकार कर लिया है। विधेयक के उद्देश्यों में यह भी उल्लेख किया गया है कि कुछ अन्य बदलाव हितधारकों से प्राप्त सुझावों के आधार पर किए गए हैं, जिससे कानूनी भाषा को अधिक सटीक बनाया जा सके।
मूल विधेयक का पूर्व इतिहास
इससे पहले, 13 फरवरी 2025 को मूल आयकर विधेयक संसद में पेश किया गया था, जिसे 9 अगस्त को वापस ले लिया गया। इसे भारत के प्रत्यक्ष कर कानून में पिछले 60 वर्षों का सबसे बड़ा सुधार माना गया था, जिसका उद्देश्य 298 धाराओं वाले पुराने कानून को हटाकर एक सरल और आधुनिक कर प्रणाली लागू करना था।
मकान मालिकों के लिए राहत
विधेयक में 30% मानक कटौती को स्पष्ट रूप से शामिल करने की सिफारिश की गई है, जो नगरपालिका कर कटौती के बाद दी जाएगी। इसके अलावा, गृह ऋण पर ब्याज कटौती का लाभ अब केवल स्व-स्वामित्व वाली संपत्तियों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसे किराए पर दी गई संपत्तियों पर भी लागू किया जा सकेगा। इन सुधारों से मध्यम वर्गीय निवेशकों और किराए से आमदनी कमाने वालों को सीधा लाभ होगा।
रिफंड प्रक्रिया में सुधार की आवश्यकता
कई करदाता यह शिकायत करते रहे हैं कि टीडीएस और टीसीएस रिफंड प्राप्त करने में काफी समय लगता है। समिति ने रिफंड की प्रक्रिया को तेज, सरल और पारदर्शी बनाने की मांग की है। यह परिवर्तन न केवल करदाताओं के लिए राहतदायक होगा, बल्कि कर प्रणाली में विश्वास भी बढ़ाएगा।
ईमानदार करदाताओं के लिए राहत
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने पहले ही बताया है कि एक नई नीति 'सहानुभूति के साथ प्रवर्तन' (Enforcement with Empathy) तैयार की जा रही है। इसका उद्देश्य ईमानदार करदाताओं की परेशानियों को कम करना और जटिलताओं को दूर कर सहज कर अनुपालन को बढ़ावा देना है।