आरएसएस महासचिव के बयान पर माकपा की कड़ी प्रतिक्रिया
आरएसएस महासचिव के बयान की आलोचना
(Bhiwani News) भिवानी। माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने आरएसएस महासचिव के उस बयान की कड़ी निंदा की है, जिसमें उन्होंने संविधान से समाजवादी और धर्मनिरपेक्षता शब्द हटाने की मांग की। इस बयान ने आरएसएस और भाजपा की असली मंशा को उजागर किया है। माकपा के जिला सचिव कामरेड ओमप्रकाश ने कहा कि यह प्रस्ताव भारतीय संविधान की प्रस्तावना से समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्दों को हटाने की मांग करता है, जो कि पूरी तरह से अस्वीकार्य है।
उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव आरएसएस के दीर्घकालिक उद्देश्य को दर्शाता है, जिसमें भारत को एक धर्म आधारित राष्ट्र में बदलने की मंशा है। भारतीय संविधान स्वतंत्रता के लिए हमारे ऐतिहासिक उपनिवेश विरोधी संघर्ष की विभिन्न धाराओं के अनगिनत स्वतंत्रता सेनानियों की आकांक्षाओं का प्रतीक है।
स्वतंत्रता सेनानियों की बलिदान की याद
स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राणों की आहुति दी
प्रस्तावना में समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता को शामिल करना कोई मनमाने तरीके से नहीं जोड़ा गया है। यह उन मूल मूल्यों को दर्शाता है जिनके लिए शहीद-ए-आजम भगत सिंह और उनके साथियों जैसे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राणों की आहुति दी। संविधान के हर प्रावधान में उनके आदर्श अंतर्निहित हैं और इन शब्दों को शामिल करना केवल उस विरासत की पुष्टि करता है।