आर.के. सिंह का भाजपा से इस्तीफा: पार्टी-विरोधी गतिविधियों के आरोप
आर.के. सिंह का निलंबन और इस्तीफा
बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की ऐतिहासिक जीत के एक दिन बाद, भाजपा ने पूर्व केंद्रीय मंत्री आर.के. सिंह को छह साल के लिए निलंबित कर दिया। उन पर 'पार्टी-विरोधी गतिविधियों' का आरोप लगाया गया।
जैसे ही यह निर्णय सार्वजनिक हुआ, आर.के. सिंह ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा को भेजे पत्र में कहा कि उन पर लगे आरोपों की जानकारी उन्हें नहीं दी गई।
आर.के. सिंह का निलंबन: कारण क्या थे?
आर.के. सिंह ने पिछले कुछ महीनों में भाजपा और एनडीए नेतृत्व की खुलकर आलोचना की थी। उन्होंने बिहार सरकार पर गंभीर आरोप लगाए, जिनमें पावर प्लांट की कमीशनिंग में घोटाले का दावा सबसे प्रमुख रहा। चुनाव के दौरान यह मामला तेजी से उभरा और राजनीतिक तनाव बढ़ गया। हालांकि, चुनाव परिणाम आने के बाद उन्हें निलंबित किया गया।
पावर प्लांट विवाद: एक बड़ा मुद्दा
सिंह के आरोपों ने चुनाव से पहले बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी थी। उन्होंने कहा था कि पावर प्लांट के प्रोजेक्ट में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं हुई हैं। विपक्ष ने इस बयान का उपयोग किया और यह मुद्दा भाजपा के लिए असहजता का कारण बना। यही बयान पार्टी-विरोधी गतिविधियों की चर्चा का आधार माना जा रहा है।
सिंह का इस्तीफा: पत्र में क्या लिखा?
निलंबन की सूचना मिलने के तुरंत बाद, सिंह ने इस्तीफा भेजते हुए कहा कि नोटिस में यह स्पष्ट नहीं किया गया कि उनकी कौन-सी गतिविधियां पार्टी-विरोधी मानी गईं। उनका कहना है कि बिना आरोपों का उल्लेख किए कारण बताओ नोटिस देना अनुचित है। उन्होंने यह भी लिखा कि टिकट वितरण में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों पर सवाल उठाना पार्टी-विरोधी नहीं हो सकता।
राजनीति में अपराधीकरण पर सिंह की राय
अपने पत्र में, सिंह ने कहा कि राजनीति में अपराधीकरण और भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलना राष्ट्र और समाज के हित में है। लेकिन पार्टी के कुछ नेता इससे असहमत दिखाई दिए। उन्होंने बताया कि इस मुद्दे पर उन्होंने राज्य भाजपा कार्यालय को विस्तृत जवाब दे दिया है और इसी आधार पर वह पार्टी से अलग होने का निर्णय ले रहे हैं।