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इंडोनेशिया में समलैंगिक संबंधों के लिए युवकों को कोड़े की सजा

इंडोनेशिया के आचे प्रांत में दो युवकों को समलैंगिक संबंध बनाने के आरोप में 76 कोड़े मारे गए। यह घटना शरिया कानून के तहत हुई है, जहां समलैंगिकता को अवैध माना जाता है। अदालत ने पहले 80 कोड़ों की सजा सुनाई थी, लेकिन बाद में इसे घटाकर 76 कर दिया। मानवाधिकार संगठनों ने इस सजा की कड़ी निंदा की है। जानें इस मामले के पीछे की पूरी कहानी और आचे के सामाजिक ढांचे के बारे में।
 

आचे प्रांत में शरिया कानून के तहत सजा

इंडोनेशिया के आचे प्रांत में मंगलवार, 26 अगस्त को एक शरिया अदालत के निर्णय के अनुसार, दो युवकों को समलैंगिक संबंध बनाने के आरोप में सार्वजनिक रूप से 76-76 कोड़े मारे गए। यह घटना उस क्षेत्र में हुई है जहां शरिया कानून लागू है, और यहां समलैंगिक यौन संबंधों को अवैध माना जाता है।


रिपोर्टों के अनुसार, आचे की राजधानी बांदा में तमन सारी पार्क में दो कॉलेज के छात्रों, जिनकी उम्र 20 और 21 वर्ष है, को अप्रैल में स्थानीय शरिया पुलिस ने एक सार्वजनिक शौचालय में आपत्तिजनक स्थिति में पकड़ा था। शरिया जिला अदालत ने बंद कमरे में सुनवाई के बाद उन्हें समलैंगिक यौन संबंधों के लिए दोषी ठहराया।


कोर्ट का निर्णय और सजा

सजा का विवरण

मुख्य न्यायाधीश रोखमादी एम. हम ने कहा, "दोनों छात्रों ने शरिया कानून का उल्लंघन किया, जिसके लिए उन्हें दंडित किया गया है।" अदालत ने प्रारंभ में 80-80 कोड़ों की सजा सुनाई थी, लेकिन चार महीने की हिरासत को ध्यान में रखते हुए इसे घटाकर 76 कोड़े कर दिया गया। अभियोजकों ने पहले 85 कोड़ों की मांग की थी, लेकिन जजों ने दोनों के अच्छे व्यवहार और पूर्व में कोई आपराधिक रिकॉर्ड न होने के आधार पर सजा में कमी की।


सामाजिक प्रतिक्रिया और शरिया कानून

सामाजिक ढांचा

आचे एकमात्र प्रांत है जहां शरिया कानून लागू है। 2006 में केंद्र सरकार के साथ हुए शांति समझौते के तहत इसे लागू किया गया था। प्रारंभ में यह कानून केवल मुसलमानों पर लागू था, लेकिन 2015 में इसे गैर-मुसलमानों पर भी लागू कर दिया गया।


आचे में नैतिक अपराधों के लिए अधिकतम 100 कोड़ों की सजा का प्रावधान है। स्थानीय समुदाय में ऐसी सजाओं को व्यापक समर्थन प्राप्त है और इसे सामाजिक व्यवस्था का हिस्सा माना जाता है।


मानवाधिकार संगठनों की प्रतिक्रिया

मानवाधिकार संगठनों की निंदा

मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इस सजा की कड़ी निंदा की है। संगठन के क्षेत्रीय रिसर्च डायरेक्टर मोंटेमों टेस फेरर ने कहा, "समलैंगिकता को अपराध बताना एक न्यायपूर्ण और मानवीय समाज का हिस्सा नहीं है।" एमनेस्टी ने इस तरह की सजाओं को मानवाधिकारों का उल्लंघन करार दिया है और इसे समाप्त करने की मांग की है।