इंदौर में दूषित पानी से हुई मौतों पर प्रशासनिक कार्रवाई
इंदौर में दूषित पानी का मामला
इंदौर में दूषित पानी की समस्या: मध्य प्रदेश का इंदौर, जो कि आठ बार देश का सबसे स्वच्छ शहर बन चुका है, अब दूषित पानी के कारण गंभीर संकट का सामना कर रहा है। इस समस्या के चलते आठ लोगों की जान चली गई है और 100 से अधिक लोग अस्पताल में भर्ती हैं। इस घटना के बाद तीन अधिकारियों को निलंबित किया गया है, जिसमें दो अधिकारियों को सस्पेंड किया गया और एक इंजीनियर की सेवा समाप्त कर दी गई है।
जानकारी के अनुसार, भागीरथपुरा क्षेत्र में दूषित पानी पीने से तीन लोगों की मौत हुई, जिसके बाद राज्य सरकार ने मृतकों के परिवारों को 2 लाख रुपये की सहायता देने की घोषणा की। कई मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 25 से 30 दिसंबर के बीच ये मौतें हुईं, जब लोगों ने नगर निगम द्वारा सप्लाई किए गए पानी में अजीब स्वाद और गंध की शिकायत की। यह घटना शहर में पीने के पानी की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा रही है।
इंदौर के मेयर पुष्यमित्र भार्गव ने डायरिया से तीन मौतों की पुष्टि की, जबकि निवासियों का कहना है कि चार महिलाओं सहित पांच लोगों की मौत हुई है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस घटना पर दुख व्यक्त किया और मृतकों के परिवारों को 2 लाख रुपये देने का आश्वासन दिया। निवासियों ने आरोप लगाया कि नर्मदा नदी का पानी पीने के बाद वे बीमार पड़ गए। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सरकार की लापरवाही पर सवाल उठाए हैं।
जीतू पटवारी ने कहा, "इंदौर में आज शोक और पीड़ा का माहौल है। सरकार की लापरवाही के कारण लोगों की जान जाना अत्यंत दुखद है। यह केवल मौतें नहीं हैं, बल्कि एक आपराधिक लापरवाही का परिणाम हैं।"
सीएम का कड़ा संदेश: इस मामले पर मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि इंदौर में दूषित पानी से संक्रमित होने की घटना को गंभीरता से लिया गया है। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निलंबित करने का आदेश दिया और जांच के लिए एक समिति गठित की। उन्होंने कहा कि लोगों के स्वास्थ्य के साथ किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।