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इंदौर में दूषित पानी से हुई मौतों पर मुख्यमंत्री का सख्त एक्शन

इंदौर के भागीरथपुरा इलाके में दूषित पानी पीने से हुई मौतों के मामले में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने त्वरित कार्रवाई की है। उन्होंने तीन अधिकारियों को निलंबित किया और बीमार मरीजों के इलाज के लिए निर्देश दिए। इस घटना के बाद एक जांच समिति का गठन भी किया गया है। जानें इस मामले में और क्या हुआ है और अधिकारियों पर क्या कार्रवाई की गई है।
 

मुख्यमंत्री का त्वरित कदम

मध्य प्रदेश के इंदौर शहर के भागीरथपुरा क्षेत्र में दूषित पानी पीने से हुई मौतों के मामले में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कड़ा कदम उठाया है। उन्होंने तीन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की है।


भागीरथपुरा में दूषित पानी पीने के बाद कई लोगों को उल्टी की समस्या का सामना करना पड़ा, जिनमें से कुछ को अस्पताल में भर्ती कराया गया। अब तक तीन लोगों की मौत हो चुकी है।


मुख्यमंत्री ने इस घटना पर सख्त रुख अपनाते हुए बीमार मरीजों के इलाज और मृतकों के परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान करने के निर्देश दिए हैं।


उन्होंने कहा कि यह घटना अत्यंत दुखद है और मृतकों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्होंने प्रभावितों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की। इसके साथ ही, उन्होंने जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए हैं।


कलेक्टर शिवम वर्मा ने जानकारी दी कि इस मामले में जोनल अधिकारी शालिग्राम सितोले और सहायक यंत्री योगेश जोशी को निलंबित किया गया है, जबकि प्रभारी उपयंत्री पीएचई शुभम श्रीवास्तव को सेवा से हटा दिया गया है।


इस पूरे मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया है, जो आईएएस नवजीवन पंवार की देखरेख में कार्य करेगी। समिति में प्रदीप निगम, सुपरिटेंडेंट इंजीनियर और मेडिकल कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शैलेश राय शामिल हैं।


इंदौर में पानी की आपूर्ति खरगोन जिले के जलुद स्थित नर्मदा पंपिंग स्टेशन से की जाती है, और आशंका है कि पाइपलाइन में गंदा पानी मिल गया था, जिसके कारण लोगों की तबीयत बिगड़ी।