इजराइल, ईरान और अमेरिका के बीच युद्ध की नई रणनीतियाँ
युद्ध की जटिलताएँ
इजराइल, ईरान और अमेरिका के बीच चल रहे युद्ध ने एक नया मोड़ ले लिया है। पिछले 12 दिनों से यह प्रतीत हो रहा है कि ये देश एक दूसरे को धोखा देने में लगे हैं। अमेरिका ने ईरान के परमाणु स्थलों पर हमले की चेतावनी दी, जबकि ईरान ने कतर में अमेरिकी एयरबेस पर हमला किया, जो कि पहले से तय योजना का हिस्सा था। यह हमला दोनों देशों के बीच एक प्रतीकात्मक कार्रवाई के रूप में देखा जा रहा है।ईरान, जो एक कट्टर मुस्लिम राष्ट्र है, कथित तौर पर परमाणु हथियार विकसित कर रहा था। इसी कारण इजराइल ने 12 दिन पहले आत्मरक्षा में ईरान पर हमला किया, जिसमें उसने ईरान के परमाणु कार्यक्रम से जुड़े शोधकर्ताओं और शीर्ष कमांडरों को निशाना बनाया। हालांकि, इजराइल ने ईरान के परमाणु स्थलों को नुकसान पहुँचाने में असफल रहा, जबकि ईरान की मिसाइलें इजराइल की राजधानी तक पहुँच गईं।
इस बीच, अमेरिका ने ईरान पर हमले के लिए 128 लड़ाकू विमानों को तैनात किया, जिनमें बी2 बमवर्षक भी शामिल थे। अमेरिका ने ईरान को बताया कि यह हमला युद्ध की शुरुआत नहीं, बल्कि उनके परमाणु ठिकानों को नष्ट करने के लिए है। ईरान ने कतर के अल उदीद एयरबेस पर भी हमला किया, जो अमेरिकी वायुसेना के नियंत्रण में है। इस हमले में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है।
ट्रंप के अनुसार, ईरान ने हमले से पहले अमेरिका को सूचित किया था। ईरान ने कम क्षमता वाली मिसाइलें दागीं, जिन्हें अमेरिका ने रोक लिया। यह सब एक पूर्व निर्धारित योजना के तहत हुआ। ट्रंप ने ईरान को वह सब करने दिया, जिससे वह अपनी इज्जत बचा सके। अब यह स्पष्ट हो रहा है कि यह सब एक क्रिकेट मैच की तरह योजनाबद्ध था।
युद्ध विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका ने ईरान को बदला लेने का मौका दिया और युद्ध की समाप्ति की घोषणा भी की। अब ट्रंप एक बार फिर युद्ध रोकने का नाटक करते हुए स्वतंत्र हैं। यह स्थिति सभी के लिए जीत की तरह है। भविष्य में यह देखना होगा कि क्या युद्ध रुकता है या जारी रहता है।