इजराइल-ईरान संघर्ष में अमेरिका की भागीदारी: हालात गंभीर
इजराइल और ईरान के बीच बढ़ता तनाव
इजराइल और ईरान के बीच युद्ध की स्थिति अब गंभीर हो चुकी है। 13 जून को इजराइल ने ईरान पर हमला किया, जिससे गाजा के बाद मध्य पूर्व में एक नया संघर्ष शुरू हुआ। इस हमले में सैकड़ों लोग मारे गए हैं और हजारों घायल हुए हैं। अब अमेरिका भी इस संघर्ष में शामिल हो गया है। अमेरिकी हमले के बाद, ईरान ने इजराइल के कई शहरों, जिसमें तेल अवीव भी शामिल है, पर जवाबी हमले किए हैं।हालिया रिपोर्टों के अनुसार, पिछले दस दिनों में इजराइल के हमलों में 865 ईरानी नागरिकों की मौत हो चुकी है और 3,396 से अधिक लोग घायल हुए हैं। ईरान ने इजराइल में 10 से अधिक स्थानों को निशाना बनाया है।
ईरान के मिसाइल हमले
अमेरिकी हमले के बाद, ईरान ने इजराइल पर मिसाइलों की बौछार शुरू कर दी है। आज सुबह, ईरान ने तेल अवीव के आसपास 10 स्थानों को निशाना बनाया। एक बैलिस्टिक मिसाइल इजराइल के हाइफा शहर में गिरी, लेकिन हवाई हमले का सायरन नहीं बजा। टाइम्स ऑफ इजराइल के अनुसार, इस हमले में 11 लोग घायल हुए हैं।
अमेरिका की सैन्य कार्रवाई
इस संघर्ष में अमेरिका की भागीदारी भी बढ़ गई है। हाल ही में, अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु स्थलों, फोर्डो, नतांज और इफ्तिखार पर शक्तिशाली हवाई हमले किए। ईरान ने इन हमलों की पुष्टि करते हुए कहा है कि यह अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है।
रिपोर्टों के अनुसार, इजराइल के अधिकारियों ने बताया कि ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले में अमेरिका ने पूरा सहयोग किया। इस ऑपरेशन के लिए उचित समन्वय किया गया था। ईरान पर हमले से पहले गुआम बेस पर फाइटर जेट उतारे गए थे। एक अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि इस हमले में बी-2 स्टील्थ बॉम्बर्स का इस्तेमाल किया गया, जिससे ईरान के परमाणु ठिकानों को भारी नुकसान पहुंचा है।