इजराइल और भारत के युद्ध की रणनीतियों में अंतर
इजराइल और ईरान का संघर्ष
इजराइल और ईरान के बीच चल रहे युद्ध ने वैश्विक स्तर पर दो अलग-अलग खेमों का निर्माण कर दिया है। एक ओर इजराइल का समर्थन करने वाले देश हैं, जबकि दूसरी ओर ईरान को सहायता प्रदान करने वाले राष्ट्र हैं। हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच भी एक सीमित संघर्ष हुआ था, जो 10 मई को अचानक समाप्त हो गया। यह माना जाता है कि आधुनिक युद्धों में समानताएं होती हैं, लेकिन इन दोनों संघर्षों में कई महत्वपूर्ण भिन्नताएं हैं।
युद्ध का अंतिम विकल्प
युद्ध हमेशा अंतिम उपाय होना चाहिए, जब सभी अन्य विकल्प समाप्त हो जाएं। युद्ध की नीति यह कहती है कि जब युद्ध शुरू हो, तो उसे स्पष्ट रणनीति और उद्देश्य के साथ किया जाना चाहिए। यह आवश्यक है कि युद्ध का लक्ष्य निर्णायक परिणाम प्राप्त करना हो। दुर्भाग्यवश, भारत ने इस बार स्पष्ट रणनीति के बिना युद्ध शुरू किया।
भारत की तैयारी और प्रतिक्रिया
भारत ने पाकिस्तान को 15 दिन का समय दिया, जिससे युद्ध में आश्चर्य का तत्व समाप्त हो गया। प्रधानमंत्री ने बार-बार कहा कि आतंकवादियों को सबक सिखाया जाएगा, जिससे पाकिस्तान ने अपनी तैयारी की। परिणामस्वरूप, जब भारत ने हवाई हमले किए, तो पाकिस्तान पहले से तैयार था।
इजराइल की रणनीति
इसके विपरीत, इजराइल ने अपनी रणनीति में स्पष्टता दिखाई। उसने ईरान के एयर डिफेंस सिस्टम को पहले ही नष्ट कर दिया, जिससे उसकी प्रतिक्रिया को कमजोर किया जा सके। इजराइल ने अपने हमले के दौरान स्पष्ट लक्ष्य निर्धारित किए, जैसे कि ईरान के परमाणु ठिकानों को नष्ट करना।
कूटनीति और वैश्विक समर्थन
कूटनीति के मामले में भी दोनों युद्धों में अंतर स्पष्ट है। अमेरिका और जी-7 देशों ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है, जबकि पाकिस्तान के प्रति ऐसा कोई कठोर रवैया नहीं अपनाया गया। भारत के प्रधानमंत्री ने जी-7 बैठक में आतंकवाद को समर्थन देने वाले देशों के खिलाफ आवाज उठाई, लेकिन भारत की अपनी सैन्य और कूटनीतिक तैयारियां अधूरी हैं।