इजरायल-ईरान संघर्ष: ताजा घटनाक्रम और वैश्विक प्रतिक्रियाएँ
इजरायल और ईरान के बीच बढ़ता तनाव
इजरायल-ईरान संघर्ष के ताजा अपडेट: मध्य पूर्व में इजरायल और ईरान के बीच तनाव अपने चरम पर पहुँच गया है। 13 जून 2025 को इजरायल ने ईरान के नतांज परमाणु संयंत्र और अन्य सैन्य ठिकानों पर हमला किया, जिसमें कई वैज्ञानिक और अधिकारी मारे गए। इसके जवाब में, ईरान ने इजरायल पर 100 शाहेद-136 ड्रोन और बैलिस्टिक मिसाइलें दागी। इजरायल ने नतांज पर बंकर-बस्टर बम से हमला किया, जिसमें 6 परमाणु वैज्ञानिकों की जान गई। इस हमले के कारण ईरान का परमाणु कार्यक्रम 1-2 साल पीछे जा सकता है।
ईरान का जवाबी हमला
ईरान ने इस हमले को आतंकवादी कार्रवाई करार दिया। ईरान ने इजरायल पर 100 शाहेद-136 ड्रोन और बैलिस्टिक मिसाइलें दागी। जॉर्डन और इजराइली वायुसेना ने इनमें से कई को नष्ट कर दिया, लेकिन कुछ ड्रोन और मिसाइलें तेल अवीव पर भी गिरीं। अमेरिका ने इजरायल का समर्थन किया, जबकि रूस और चीन ने ईरान के पक्ष में बयान दिए। इस बीच, भारत ने शांति की अपील की है और अपने नागरिकों को मध्य पूर्व से लौटने की सलाह दी है।
रूस और चीन की प्रतिक्रिया
रूस ने 13 जून 2025 को इजरायली हमले की निंदा की और इसे “अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन” बताया। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने चेतावनी दी कि इससे पूर्ण युद्ध छिड़ सकता है। चीन ने ईरान के साथ 400 बिलियन डॉलर का ऊर्जा समझौता किया है और उसे अपना “रणनीतिक साझेदार” मानता है। उसने इजरायली हमले को “अस्थिर करने वाला” बताया।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा कि, “मैं ईरान पर हुए हमले की कड़ी निंदा करता हूं। मैं इस हमले में हुई मौतों पर ईरानी लोगों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं। यह बहुत ही गैरजिम्मेदाराना और चिंताजनक कृत्य है। पहले से ही अस्थिर क्षेत्र में और अस्थिरता का खतरा है। हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय और संयुक्त राष्ट्र से अपील करते हैं कि वे वैश्विक शांति को खतरे में डालने वाली किसी भी तरह की गतिविधि को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाएं।”
सऊदी अरब की प्रतिक्रिया
ईरान-इजरायल सैन्य झड़प के बाद सऊदी अरब ने ईरान को अपना भाई बताते हुए इजरायली हमले की निंदा की है। सऊदी ने अपने बयान में कहा, सऊदी अरब अपने भाई देश इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान के खिलाफ इजरायल की निंदा करता है। यह हमला ईरान की संप्रभुता और सुरक्षा को कमजोर करता है। यह अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का खुला उल्लंघन है।