इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद में मस्जिद को विवादित नहीं माना
श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद
श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद: मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है। शुक्रवार को न्यायमूर्ति राम मनोहर मिश्र की एकल पीठ ने मस्जिद को विवादित ढांचा मानने से इनकार कर दिया। यह निर्णय हिंदू पक्ष के वकील महेंद्र प्रताप सिंह द्वारा दायर याचिका पर आधारित है, जिसमें कहा गया था कि मस्जिद का निर्माण हिंदू मंदिर को तोड़कर किया गया था। मुस्लिम पक्ष के पास भूमि के कोई दस्तावेज नहीं हैं, इसलिए हिंदू पक्ष ने शाही ईदगाह को विवादित घोषित करने की मांग की थी। कोर्ट ने 23 मई को अपना निर्णय सुरक्षित रखा था।
मामले का विवरण
मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर लगभग 11 एकड़ में फैला हुआ है, जबकि मस्जिद का क्षेत्रफल 2.37 एकड़ है। यह मस्जिद मुगल सम्राट औरंगजेब द्वारा 1669-70 में बनवाई गई थी। हिंदू पक्ष का दावा है कि यह मस्जिद मंदिर की जगह पर स्थित है, जिसके चलते उन्होंने कोर्ट में मामला दायर किया। 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही ईदगाह मस्जिद प्रबंधन कमेटी के बीच मस्जिद को उसी स्थान पर बनाए रखने का समझौता हुआ था, जिसे मुस्लिम पक्ष कोर्ट में प्रस्तुत करता है।
मुस्लिम पक्ष का तर्क
मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट में उपासना स्थल कानून, यानी प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 का हवाला देते हुए कहा कि यह मुकदमा बेबुनियाद है। उन्होंने बताया कि इस कानून के अनुसार, 15 अगस्त, 1947 के बाद भारत में किसी भी धार्मिक स्थल का स्वरूप नहीं बदला जा सकता और ऐसे मामलों में कोई मुकदमा भी नहीं चलाया जा सकता। इसके अलावा, मुस्लिम पक्ष ने 60 साल पुराने समझौते को भी आधार बनाया।