इस्वातिनी की अनोखी परंपरा: राजा चुनता है अपनी रानी
इस्वातिनी की अनोखी परंपरा
राजा मस्वाती: दुनिया में कई ऐसे देश हैं जहाँ कुछ परंपराएँ इतनी अद्भुत और चौंकाने वाली हैं कि उन पर विश्वास करना कठिन हो जाता है। ऐसा ही एक देश है इस्वातिनी, जिसे पहले स्वाजीलैंड के नाम से जाना जाता था। यह अफ्रीकी राष्ट्र पूरी तरह से राजशाही प्रणाली पर निर्भर है, जहाँ आज भी राजा का प्रभाव बना हुआ है। जबकि, अन्य देशों में राजशाही व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है।
राजा की रानी का चुनाव
राजा चुनता है अपनी रानी
इस देश में हर साल अगस्त-सितंबर के बीच एक भव्य परंपरा होती है, जिसे 'उम्हलांगा समारोह' कहा जाता है। यह आयोजन राजधानी के निकट लुदजिजिनी गांव में होता है। इस उत्सव में देशभर से 10,000 से अधिक कुंवारी लड़कियाँ और किशोरियाँ भाग लेती हैं। ये सभी लड़कियाँ पारंपरिक रीति-रिवाजों के अनुसार बिना कपड़ों के राजा और उसकी प्रजा के सामने नृत्य करती हैं।
विरोध की आवाज़
कई बार परंपरा का हुआ विरोध
हाल के वर्षों में इस प्रथा के खिलाफ विरोध भी बढ़ा है। कई लड़कियों ने इसमें भाग लेने से मना कर दिया, जिसके लिए उनके परिवारों को भारी जुर्माना भरना पड़ा। यह मुद्दा तब और बढ़ गया जब कुछ संगठनों ने इसे महिलाओं के अधिकारों के खिलाफ बताया।
राजा की विलासिता और भारत से संबंध
राजा की आलीशान जिंदगी और भारत कनेक्शन
राजा मस्वाती तृतीय अक्सर अपनी भव्य जीवनशैली के लिए चर्चा में रहते हैं। उनके पास 15 से अधिक पत्नियाँ हैं और वे आलीशान महलों में निवास करते हैं, जबकि देश की बड़ी जनसंख्या गरीबी और बेरोजगारी से जूझ रही है। उल्लेखनीय है कि राजा मस्वाती तृतीय 2015 में भारत आए थे, जहाँ वे भारत-अफ्रीका शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए दिल्ली आए थे, अपने साथ 15 पत्नियाँ, बच्चे और 100 नौकर लेकर आए थे। दिल्ली के एक फाइव स्टार होटल में 200 कमरे बुक किए गए थे, जिसकी तस्वीरें और खबरें उस समय काफी वायरल हुई थीं।
संस्कृति या बदलाव की आवश्यकता?
यह परंपरा आज भी दुनिया भर के लोगों को चौंकाती है, जहाँ 21वीं सदी में भी राजा अपनी रानी को नाचती लड़कियों में से चुनता है। क्या इसे संस्कृति कहा जाए या बदलाव की आवश्यकता है, यह एक बहस का विषय बना हुआ है।