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ई-चालान प्रणाली को मजबूत करने की नई पहल

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने ई-चालान प्रणाली को और मजबूत करने के लिए नई कार्ययोजना की घोषणा की है। इस योजना के तहत, समय सीमा में चालान न निपटाने वाले वाहनों को डिफॉल्टर के रूप में दर्ज किया जाएगा। इसके अलावा, सभी राज्यों में ई-चालान प्रक्रियाएँ समान होंगी और प्रवर्तन अधिकारियों को नई तकनीक से लैस किया जाएगा। जानें इस नई व्यवस्था के तहत वाहन मालिकों के लिए क्या विकल्प उपलब्ध होंगे।
 

सड़क सुरक्षा के लिए ई-चालान की आवश्यकता


नई दिल्ली: सड़क सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए यह आवश्यक है कि सभी वाहन चालक यातायात नियमों का पालन करें। इसी उद्देश्य के लिए ई-चालान प्रणाली की शुरुआत की गई, जिससे नियमों का उल्लंघन करने वालों को पारदर्शी तरीके से दंडित किया जा सके। हालाँकि, आंकड़ों के अनुसार, 31 मार्च 2025 तक देशभर में केवल 38% ई-चालान ही निपटाए गए हैं, जो वर्तमान प्रवर्तन प्रणाली की कमियों को दर्शाता है।


केंद्रीय मंत्रालय की नई योजना

इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए, केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने ई-चालान प्रणाली को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए एक ठोस कार्ययोजना बनाई है। नई व्यवस्था के तहत, जिन वाहनों के ई-चालान का निपटान निर्धारित समय सीमा में नहीं होगा, उन्हें एकीकृत पोर्टल पर 'डिफॉल्टर' के रूप में दर्ज किया जाएगा।


मंत्रालय की तैयारी

मंत्रालय की क्या है तैयारी?


मंत्रालय द्वारा जारी किए गए एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) में कहा गया है कि सभी राज्यों में ई-चालान से संबंधित प्रक्रियाएँ समान होनी चाहिए। इसके लिए राज्यों और जिलों को इलेक्ट्रॉनिक एक्सीडेंट रिकॉर्ड्स तक पहुंच प्रदान की जाएगी। इसके अलावा, प्रवर्तन अधिकारियों को बॉडी कैमरा पहनने और वाहनों पर डैशबोर्ड कैमरा लगाने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि कार्रवाई का रिकॉर्ड साक्ष्य के रूप में उपलब्ध रहे।


हर प्रवर्तन अधिकारी के पास पीओएस या हैंडहेल्ड डिवाइस होगा, जिसमें कैमरा और पोर्टेबल प्रिंटर लगे होंगे। ये उपकरण मौके पर ही ई-चालान जारी करने के साथ-साथ वाहन की उच्च गुणवत्ता वाली फोटो, नंबर प्लेट और लोकेशन टैग भी रिकॉर्ड करेंगे।


ई-चालान की जानकारी संबंधित वाहन स्वामी को भौतिक रूप से 15 दिनों में और ऑनलाइन 3 दिनों में भेजी जाएगी। इसके साथ ही, चालान की निगरानी केंद्र, राज्य और जिला स्तर पर डैशबोर्ड से की जाएगी, ताकि समय पर वसूली सुनिश्चित की जा सके।


वाहन मालिक के विकल्प

वाहन मालिक के पास क्या हैं विकल्प?


वाहन मालिक को चालान जारी होने के 45 दिनों के भीतर भुगतान या आपत्ति दर्ज करनी होगी। यदि निर्धारित अवधि में भुगतान नहीं किया गया, तो संबंधित व्यक्ति का ड्राइविंग लाइसेंस या वाहन पंजीकरण रोक दिया जाएगा और उक्त वाहन को पोर्टल पर डिफॉल्टर के रूप में चिन्हित किया जाएगा। राज्य सरकारें बकाया जुर्माने की वसूली के लिए अलग से योजना तैयार करेंगी और उसे अधिसूचित करेंगी।