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ईरान-इजरायल तनाव: जॉर्डन की भूमिका और सुरक्षा उपाय

ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव के बीच, जॉर्डन ने अपनी सुरक्षा क्षमताओं का प्रदर्शन किया है। ईरान द्वारा ड्रोन हमलों के जवाब में, जॉर्डन ने अपने हवाई क्षेत्र में घुसने वाली मिसाइलों को नाकाम किया। जानें जॉर्डन की भूमिका और इस क्षेत्र में सुरक्षा के उपायों के बारे में।
 

ईरान और इजरायल के बीच बढ़ता तनाव

इजरायल द्वारा ईरान के परमाणु स्थलों पर हमले के बाद, दोनों देशों के बीच तनाव अपने उच्चतम स्तर पर पहुँच गया है। ईरान ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए इजरायल पर ड्रोन हमले शुरू कर दिए हैं। हालांकि, इजरायल और जॉर्डन की सेनाओं ने इन सभी ड्रोन हमलों को सफलतापूर्वक नाकाम कर दिया है। इजरायली सेना को जॉर्डन से विशेष सहायता मिल रही है, जो इस क्षेत्र में इजरायल का एक महत्वपूर्ण सहयोगी है। पिछले वर्ष भी, जॉर्डन ने इजरायल की ओर बढ़ रही मिसाइलों और ड्रोन को रोकने में मदद की थी।


जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला-II को पैगंबर मोहम्मद का वंशज माना जाता है। जॉर्डन के सरकारी मीडिया के अनुसार, उनकी सेना ने आज सुबह कई मिसाइलों को अपने हवाई क्षेत्र में घुसने से रोका। ये मिसाइलें ईरान द्वारा इजरायल पर हमले के लिए भेजी गई थीं, लेकिन जॉर्डन ने उन्हें हवा में ही नष्ट कर दिया। जॉर्डन ने अपने हवाई क्षेत्र को अस्थायी रूप से बंद कर दिया है।


जॉर्डन ने इस पर स्पष्ट किया है कि वे अपने हवाई क्षेत्र को युद्ध का मैदान नहीं बनने देंगे और किसी भी उल्लंघन को बर्दाश्त नहीं करेंगे। यह बयान उस समय आया है जब ईरान और इजरायल के बीच तनाव बढ़ रहा है। जॉर्डन की भौगोलिक स्थिति इसे ईरान के लिए इजरायल पर हमले का सुरक्षित ठिकाना बनाती है।


1994 में, जॉर्डन ने इजरायल के साथ शांति संधि पर हस्ताक्षर किए थे, जिससे वह ऐसा करने वाला दूसरा अरब देश बन गया। तब से, जॉर्डन और इजरायल के बीच गहरे खुफिया और सुरक्षा संबंध बने हुए हैं। जॉर्डन अमेरिका का भी एक महत्वपूर्ण सहयोगी है, जिससे यह ईरानी हमलों के दौरान इजरायल के लिए एक सुरक्षा दीवार बन जाता है।